रायपुर, 15 सितंबर 2025। छत्तीसगढ़ का चर्चित शराब घोटाला एक बार फिर सुर्खियों में है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की आज रायपुर में कोर्ट में पेशी हुई। ज्यूडिशियल रिमांड की अवधि समाप्त होने के बाद उन्हें सेशन कोर्ट में पेश किया गया। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस दौरान चैतन्य बघेल के खिलाफ 7,000 से अधिक पन्नों की विस्तृत चार्जशीट दाखिल की, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग, अवैध लेन-देन और अन्य गंभीर आरोप शामिल हैं।

ED की चार्जशीट में बताया गया है कि चैतन्य बघेल को शराब घोटाले से 16.70 करोड़ रुपये की अवैध रकम मिली थी, जिसे उन्होंने अपने रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में लगाया। आरोप है कि उन्होंने नकदी के लेन-देन को छुपाने के लिए बैंकिंग प्रविष्टियों और परियोजना ठेकेदारों के माध्यम से भुगतान किया। इसके अलावा यह भी सामने आया है कि सिंडिकेट द्वारा 1,000 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध कमाई का संचालन किया गया, जिसमें राजनीतिक प्रभावशाली लोग भी शामिल हैं।

आज की सुनवाई में आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा चैतन्य बघेल की सात दिन की कस्टोडियल रिमांड की मांग पर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। अब इस मामले पर मंगलवार 16 सितंबर 2025 को सुनवाई होगी। चैतन्य के वकील फैजल रिज़वी ने बताया कि पहले से ही उन्हें अंदेशा था कि EOW उन्हें गिरफ्तार कर सकती है। इसी आधार पर चैतन्य ने हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने सुनवाई पूरी होने तक प्रोडक्शन वारंट पर रोक लगाने का निर्देश दिया था, जिससे लोअर कोर्ट में रिमांड पर सुनवाई नहीं हो सकी।
इस बीच, ED की कार्रवाई के खिलाफ चैतन्य ने सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका लगाई थी। इसमें उन्होंने गिरफ्तारी और हिरासत को गैरकानूनी बताते हुए इसे चुनौती दी थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज करते हुए पहले हाई कोर्ट जाने की सलाह दी। इसके बाद चैतन्य ने बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर की, जहां 19 सितंबर 2025 को सुनवाई निर्धारित है।
शराब घोटाले की जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि अवैध धनराशि का उपयोग न केवल रियल एस्टेट में बल्कि अन्य निवेश योजनाओं में भी किया गया। आरोप है कि चैतन्य ने त्रिलोक सिंह ढिल्लों के साथ मिलीभगत कर अपने “विठ्ठलपुरम प्रोजेक्ट” में फ्लैटों की खरीद के नाम पर करीब 5 करोड़ रुपये की अवैध राशि हासिल की। बैंकिंग ट्रेल से यह साबित होता है कि लेन-देन के दौरान कई खाते शराब सिंडिकेट से भुगतान प्राप्त कर रहे थे।
इस घोटाले में पहले ही कई बड़े चेहरों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें पूर्व IAS अनिल टुटेजा, अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, अनवर ढेबर, ITS अधिकारी अरुण पति त्रिपाठी और पूर्व मंत्री व वर्तमान विधायक कवासी लखमा शामिल हैं। पुलिस और ED की जांच अभी भी जारी है, और आशंका जताई जा रही है कि इसमें और भी बड़े नाम सामने आ सकते हैं।
चैतन्य की गिरफ्तारी के बाद राजधानी रायपुर में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। विपक्ष इसे राज्य की राजनीति को प्रभावित करने की कोशिश बता रहा है, जबकि प्रशासन का कहना है कि जांच कानून के तहत पूरी पारदर्शिता के साथ की जा रही है।
सेशन कोर्ट ने फिलहाल चैतन्य को ज्यूडिशियल रिमांड पर रखा है और अगली सुनवाई मंगलवार को होगी। वहीं, हाई कोर्ट में 19 सितंबर को गिरफ्तारी से जुड़ी याचिका पर विचार होगा। राजनीतिक गलियारों में इस मामले को लेकर चर्चाएं तेज हैं, और यह देखना होगा कि जांच किस हद तक आगे बढ़ती है और क्या इसमें शामिल प्रभावशाली लोगों तक भी मामला पहुंचेगा।