बिलासपुर। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन (CGMSC) से जुड़े रीएजेंट घोटाले में जेल में बंद अधिकारियों को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली। डिप्टी डायरेक्टर डॉ. अनिल परसाई और असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर बसंत कौशिक की नियमित जमानत याचिका सिंगल बेंच ने खारिज कर दी। जबकि मुख्य आरोपी और मोक्षित कार्पोरेशन के संचालक शशांक चोपड़ा की जमानत याचिका पहले ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज हो चुकी है।

करीब 400 करोड़ रुपए के इस घोटाले में मोक्षित कार्पोरेशन के संचालक सहित छह आरोपी जेल में हैं। ईडी, एसीबी और ईओडब्ल्यू की संयुक्त जांच में आरोपियों के खिलाफ चालान पेश हो चुका है और अन्य मामलों की जांच जारी है। सुनवाई के दौरान अदालत में बताया गया कि ईडीटीए ट्यूब की खरीद में बाजार मूल्य से कई गुना अधिक दरों पर खरीद की गई थी, जो घोटाले का मुख्य आधार है।
डॉ. अनिल परसाई के पक्ष में यह दलील दी गई कि उनके पास खरीदी का कोई अधिकार नहीं था, लेकिन अदालत ने इसे पर्याप्त आधार नहीं माना। कोर्ट ने कहा कि मामले की गंभीरता और जांच की प्रगति को देखते हुए जमानत याचिका खारिज की जाती है। यह फैसला घोटाले में संलिप्त अधिकारियों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।