सक्ति। भागवत प्रवाह मातृशक्ति संगठन के गठन के तहत ग्राम अर्जुनी में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें छत्तीसगढ़ के विभिन्न क्षेत्रों से आई मातृशक्तियों ने भाग लिया। भागवत प्रवाह अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा के नेतृत्व में इस संगठन की स्थापना का उद्देश्य प्रदेश भर में अध्यात्म और धर्म संस्कृति की अलख जगाना है।
बैठक की शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना और आरती के साथ हुई। इस दौरान अनीता गौतम ने मातृशक्ति के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नारी शक्ति को आद्यशक्ति माना जाता है, जो समाज के हर क्षेत्र में अपनी भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि गीता, गंगा, गायत्री और गौ माता मातृशक्ति के स्वरूप हैं और इनकी पूजा समाज में विशेष स्थान रखती है।
कविता खेमराज देवांगन ने कहा कि मातृशक्ति समाज और राष्ट्र को सृजनात्मक दिशा देने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि नारी शक्ति के प्रयासों से परिवार, समाज और राष्ट्र को सशक्त बनाया जा सकता है। मातृशक्ति का त्याग और बलिदान समाज की अस्मिता को बचाने में अहम भूमिका निभाता है।
बैठक के अंत में भागवत प्रवाह अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा और सचिव जायसवाल द्वारा उपस्थित मातृशक्तियों को वस्त्र भेंट कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मातृशक्तियों ने छत्तीसगढ़ में धर्म और संस्कृति के संरक्षण के लिए निरंतर प्रयास करने का संकल्प लिया।