भुवनेश्वर प्रसाद साहू, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय मंगलवार को छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद वीर नारायण सिंह के बलिदान दिवस पर उनकी जन्मभूमि एवं कर्मभूमि बलौदाबाजार जिले के कसडोल विकासखंड के सोनाखान में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में शामिल हुए !
सोनाखान स्थित शहीद स्मारक में बलिदानी वीर नारायण सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं श्रद्धा सुमन अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी ! उन्होंने शहीद वीर नारायण सिंह संग्रहालय का भी अवलोकन किया ! श्रद्धांजलि कार्यक्रम में बलिदानी वीर नारायण सिंह के वंशजों को सम्मानित किया ! इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सोनाखान में पोस्ट मैट्रिक छात्रावास खोलने , सोनाखान मड़ाई मेला के लिए 15 लाख रुपए देने व सोनाखान के तीन तालाबों का अमृत सरोवर में उन्नयन तथा वीर नारायण के वंशज जो पेंशन के लिए वंचित है ! उन सभी सदस्यों को भी पेंशन देने की घोषणा की ! इसके साथ ही 10 हितग्राहियों को प्रधानमंत्री आवास ग्रामीण की चाबी सौंपी! हितग्राहियों को आयुष्मान कार्ड का वितरण , पीएम जनमन आदर्श पंचायत बल्दाकछार एवं औवराई का सम्मान , आदिवासी समाज के युवा प्रतिभावान छात्रों का सम्मान किया गया !
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि बलिदानी वीर नारायण सिंह के जन्म एवं कर्मभूमि में मुख्यमंत्री के तौर पर पहली बार आया हूं ! यह पवित्र भूमि गरीबों के लिए बलिदान का प्रतीक है ! उन्होंने कहा कि बलिदानी वीर नारायण सिंह गरीबों की प्राण रक्षा एवं आत्मसम्मान के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया !जो हम सबके लिए प्रेरणादायक है !
शहीद वीर नारायण सिंह सोनाखान के जनप्रिय जमींदार थे। अतः वह बाद में नारायणसिंह सोनाखान नाम से प्रसिद्ध हो गये। नारायणसिंह में राष्ट्रीय भावना कूट-कूट कर भरी थी। सन् 1856 में भारत में भयंकर अकाल पड़ा। उन्होंने अपने गोदामों का समस्त अन्न जनता में बाँट दिया। गाँव के व्यापारी माखन के पास गोदामों में अनाज भरा था। उसने नारायण सिंह की प्रार्थना पर भी अनाज गोदामों से न निकाला। नारायणसिंह ने बलपूर्वक उसके गोदामों का अनाज भूखी जनता में बँटवा दिया। इसी कार्य से कुपित होकर रायपुर के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर इलियट ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। जनता में इसका प्रबल विरोध हुआ। सोहागपुर, रायगढ़ कवधी व पंडरिया आदि के जमींदारों ने नारायण सिंह सोनाखान को जेल से मुक्त कराने की योजना बनाई। उधर 10 मई को मेरठ से क्रांति का उद्घोष हो गया था। सारे भारत में कम्पनी शासन को उखाड़ फेंकने की तैयारियाँ हो रही थीं। तभी 27 अगस्त, 1857 को नारायणसिंह एक सुरंग के माध्यम से जेल से भाग निकले। सोनाखान ने अंग्रेजों के विरूद्ध सेना को पुनः संगठित किया। उन्होंने अंग्रेजों के विरूद्ध सशस्त्र क्रांति की घोषणा कर दी। नारायणसिंह सोनाखान ने ऐसी नाकेबंदी की हुई थी कि अंग्रेज सेना उसे छू भी नहीं सकती थी। लेकिन नारायणसिंह सोनाखान का भाई महाराजसाय देवरी का जमींदार था। उसने गद्दारी कर अंग्रेज सेना को अपने क्षेत्र से (सोनाखान से) प्रवेश करा दिया। साथ ही अंग्रेज सेना का साथ भी दिया। परिणामस्वरूप नारायणसिंह सोनाखान को गिरफ्तार कर लिया गया। दिनांक 10 दिसम्बर, 1857 को रायपुर के जयस्तंभ चौक पर वीर नारायण सिंह सोनाखान को तोप के मुँह से बाँध कर उड़ा दिया गया। रायपुर में ‘जय स्तंभ चौक’ आज भी उनकी स्मृति को ताजा कर देता है।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माननीय गौरीशंकर अग्रवाल आज सोनाखान जिला बलौदाबाजार में शहीद वीर नारायण सिंह की शहादत दिवस पर आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। सर्वप्रथम सम्माननीय अतिथियों द्वारा शहीद वीर नारायण सिंह की मूर्ति पर माल्यार्पण कर, पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई।
आज के इस कार्यक्रम में प्रमुख रूप से छत्तीसगढ़ शासन के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय , छत्तीसगढ़ शासन के उपमुख्यमंत्री अरुण साव , आदिम जाति कल्याण मंत्री राम विचार नेताम , स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल , राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा , वरिष्ठ भाजपा नेता शिवरतन शर्मा , बलौदाबाजार के भाजपा जिला अध्यक्ष डॉ सनम जांगड़े , बिलाईगढ़ सारंगढ़ जिले के जिला अध्यक्ष सुभाष जालान , आसाराम नेताम , नीलकंठ टेकाम , राजेंद्र नेताम , जिला महामंत्री राकेश तिवारी , कृष्ण अवस्थी , जिला पंचायत सदस्य नवीन मिश्रा , वेदराम बरिहा , महिला मोर्चा जिला महामंत्री श्रीमती सत्यभामा साहू जी सहित भाजपा प्रदेश जिला के नेताओं सहित हज़ारों की संख्या में भाजपा कार्यकर्तागण उपस्थित रहे।
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