रायपुर। छत्तीसगढ़ अनियमित कर्मचारी फेडरेशन ने राज्य सरकार पर अपनी अनदेखी का आरोप लगाते हुए 28 दिसंबर को राजधानी रायपुर में विशाल प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। प्रदर्शन में प्रदेश के 32 संगठनों के हजारों अनियमित कर्मचारी शामिल होंगे। यह प्रदर्शन मुख्य रूप से नियमितीकरण, स्थायीकरण, मानदेय वृद्धि और निकाले गए कर्मचारियों की बहाली जैसी मांगों को लेकर किया जाएगा।

फेडरेशन का विरोध और नाराजगी
फेडरेशन का कहना है कि पिछले 5 से 30 साल तक अनियमित कर्मचारी राज्य की जनहितकारी योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, लेकिन आज भी उन्हें ‘अनियमित कर्मचारी’ की संज्ञा से तिरस्कृत किया जा रहा है। आर्थिक असुरक्षा, पारिवारिक जिम्मेदारी और प्रशासनिक दबाव के कारण कर्मचारियों को अन्याय सहना पड़ रहा है।
भाजपा सरकार पर सवाल
चुनाव से पहले भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं और जनप्रतिनिधियों ने कर्मचारियों की समस्याएं सुनी थीं और सरकार बनने पर उनके समाधान का वादा किया था। फेडरेशन ने बताया कि मोदी की गारंटी 2023 पत्र के सुशासन संबंधी बिंदु क्रमांक 2 में अनियमित कर्मचारियों को शामिल करते हुए समीक्षा प्रक्रिया शुरू करने का उल्लेख है, लेकिन अब तक कमेटी में कर्मचारियों या उनके संघ पदाधिकारियों को शामिल नहीं किया गया, जिससे आक्रोश बढ़ा है।
वेतन और छटनी की समस्या
फेडरेशन ने कहा कि अनियमित कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों के मुकाबले आधे से भी कम वेतन दिया जा रहा है। न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 और संविदा नियम 2012 के तहत न्यूनतम वेतन का पुनरीक्षण 2017 से और संविदा वेतन अगस्त 2023 के बाद नहीं किया गया। साथ ही, कई विभागों में अनियमित कर्मचारियों का वेतन महीनों से रुका हुआ है और कुछ की छटनी भी की जा रही है।
फेडरेशन की प्रमुख मांगें
- अनियमित कर्मचारियों का नियमितीकरण/स्थायीकरण
- निकाले गए कर्मचारियों की बहाली
- न्यून मानदेय कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन दिया जाना
- अंशकालीन कर्मचारियों को पूर्णकालीन करना
- आउटसोर्सिंग/ठेका/सेवा प्रदाता/समूह-समिति के माध्यम से नियोजन बंद कर विभाग में समायोजन
फेडरेशन ने चेतावनी दी है कि सरकार ने यदि इन मांगों पर समय रहते पहल नहीं की तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।