एकेडमी बोली- उनका लेखन आतंक के बीच भी कला की ताकत दिखाता है, ₹10 करोड़-गोल्ड मेडल मिलेगा
स्टॉकहोम
इस साल साहित्य का नोबेल हंगरी के लेखक लास्जलो क्रास्नाहोरकाई को मिला है। स्वीडिश एकेडमी ने गुरुवार को इसका ऐलान किया।
स्वीडिश एकेडमी ने कहा कि लास्जलो की रचनाएं बहुत प्रभावशाली और दूरदर्शी हैं। वे दुनिया में आतंक और डर के बीच भी कला की ताकत को दिखाती हैं। लास्जलो को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना (10.3 करोड़ रुपए), सोने का मेडल और सर्टिफिकेट मिलेगा। पुरस्कार 10 दिसंबर को स्टॉकहोम में दिए जाएंगे।
इससे पहले उन्हें 2015 में मैन बुकर इंटरनेशनल प्राइज और 2019 में नेशनल बुक अवॉर्ड फॉर ट्रांसलेटेड लिटरेचर मिल चुका है।
लास्जलो की किताबों पर फिल्म बन चुकी है
लास्जलो क्रास्नाहॉर्कई हंगरी के सबसे प्रतिष्ठित समकालीन लेखकों में से एक हैं। उनकी किताबें अक्सर दर्शनात्मक होती हैं, जिनमें मानवता, अराजकता और आधुनिक समाज के संकटों का जिक्र होता है। लास्जलो क्रास्नाहोरकाई डीप थिंकिंग वाली उदास कहानियां लिखते हैं। साल 1985 में आई ‘सतांटैंगो’ उनकी सबसे मशहूर किताब है। 1994 में इस किताब पर सतांटैंगो नाम से ही 7 घंटे लंबी फिल्म भी बनाई गई थी। इसकी कहानी एक छोटे से गांव और उसके लोगों की मुश्किल जिंदगी के इर्द-गिर्द घूमती है। इसमें अराजकता, धोखा और मानव स्वभाव की कमजोरियों को दिखाया गया है। यह किताब धोखे की कहानी है, जिसमें एक पुराने खंडहर फार्महाउस में कुछ गरीब लोग रहते हैं। वे सोचते हैं कि कोई बड़ा पैसा आने वाला है, लेकिन सब कुछ उल्टा हो जाता है।
इसके अलावा उनकी किताब ‘द मेलांकली ऑफ रेसिस्टेंस’ पर भी फिल्म बन चुकी है।
1895 में हुई थी नोबेल पुरस्कार की स्थापना
नोबेल पुरस्कारों की स्थापना 1895 में हुई थी और पुरस्कार 1901 में मिला। 1901 से 2024 तक साहित्य की फील्ड में 121 लोगों को सम्मानित किया जा चुका है। इन पुरस्कारों को वैज्ञानिक और इन्वेंटर अल्फ्रेड बर्नहार्ड नोबेल की वसीयत के आधार पर दिया जाता है। शुरुआत में केवल फिजिक्स, मेडिसिन, केमिस्ट्री, साहित्य और शांति के क्षेत्र में ही नोबेल दिया जाता था। बाद में इकोनॉमिक्स के क्षेत्र में भी नोबेल दिया जाने लगा।
नोबेल प्राइज वेबसाइट के मुताबिक उनकी ओर से किसी भी फील्ड में नोबेल के लिए नॉमिनेट होने वाले लोगों के नाम अगले 50 साल तक उजागर नहीं किए जाते हैं।
टैगोर एशिया के पहले लेखक जिन्हें नोबेल मिला
रविंद्रनाथ टैगोर एशिया के पहले ऐसे लेखक थे, जिन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला। यह सम्मान उन्हें 1913 में उनकी मशहूर किताब गीतांजलि के लिए दिया गया था।
यह किताब कविताओं का संग्रह है, जिसमें टैगोर ने जीवन, प्रकृति और ईश्वर के प्रति अपनी गहरी भावनाओं को आसान और सुंदर शब्दों में लिखा है। यह पहली बार था जब किसी गैर-यूरोपीय को साहित्य का नोबेल मिला था। स्वीडिश एकेडमी ने उनकी रचनाओं को गहरी भावनाओं और सुंदर भाषा वाला बताया था।
ये हैं भारत के नोबेल विजेता–
रवींद्रनाथ टैगोर (साहित्य, 1913) – गीतांजलि के लिए सम्मानित, जो भारतीय आध्यात्मिकता और गीतात्मकता को विश्व साहित्य में लाने वाली कविताओं का एक संग्रह है। इसके साथ ही, टैगोर पहले एशियाई नोबेल पुरस्कार विजेता बने थे।
सी.वी. रमन (भौतिकी, 1930) – रमन प्रभाव की खोज के लिए सम्मानित, जिसमें उन्होंने बताया कि जब प्रकाश किसी पारदर्शी पदार्थ से गुजरता है तो उसकी तरंगदैर्ध्य कैसे बदलती है।
हर गोबिंद खुराना (शरीरक्रिया विज्ञान या चिकित्सा, 1968) – डीएनए में आनुवंशिक जानकारी प्रोटीन संश्लेषण को कैसे नियंत्रित करती है, इसकी व्याख्या करने के लिए संयुक्त पुरस्कार। उन्होंने दुनिया का पहला सिंथेटिक जीन भी बनाया।
मदर टेरेसा (शांति, 1979) – मिशनरीज ऑफ चैरिटी के माध्यम से कोलकाता में गरीबों और बीमारों की देखभाल करने के उनके मानवीय कार्यों के लिए उन्हें सम्मानित किया गया।
सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर (भौतिकी, 1983) – चंद्रशेखर सीमा सहित तारों की संरचना और विकास पर उनके सिद्धांत के लिए सम्मानित किया गया।
अमर्त्य सेन (आर्थिक विज्ञान, 1998) – कल्याणकारी अर्थशास्त्र में उनके योगदान और गरीबी और विकास को मापने के लिए उनके क्षमता दृष्टिकोण के लिए सम्मानित किया गया।
वेंकटरमन रामकृष्णन (रसायन विज्ञान, 2009) – राइबोसोम की परमाणु संरचना का मानचित्रण करने के लिए पुरस्कार साझा किया गया, जो चिकित्सा विज्ञान के लिए एक महत्वपूर्ण खोज है।
कैलाश सत्यार्थी (शांति, 2014) – बाल श्रम के खिलाफ दशकों से चल रही लड़ाई और बच्चों की शिक्षा की वकालत के लिए सम्मानित।
अभिजीत बनर्जी (आर्थिक विज्ञान, 2019) – वैश्विक गरीबी का अध्ययन करने और उसे कम करने के लिए क्षेत्रीय प्रयोगों के अग्रणी उपयोग के लिए पुरस्कार साझा किया गया।