Black game -अवैध खनन संग्रहण परिवहन का काला खेल

छोटे वाहनों पर कार्रवाई, बड़े तस्करों को संरक्षण

 

सूरजपुर।जिले में अवैध खनिज संपदा का खनन संग्रहण व परिवहन काला कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा। वहीं दूसरी तरफ जिला प्रशासन की ताजा कार्रवाई में छोटे स्तर के वाहनों को निशाना बनाकर अपनी सक्रियता का ढोल पीटा जा रहा है, जबकि बड़े तस्करों पर नकेल कसने में प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है। यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है, जब बलरामपुर जिले के सनवाल थाना क्षेत्र में रेत माफियाओं द्वारा पुलिस टीम पर जानलेवा हमले में आरक्षक शिवबचन सिंह की ट्रैक्टर से कुचलकर हत्या कर दी गई।

इस घटना ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया, जिसके बाद छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इसे ‘राज्य प्रशासन की गंभीर विफलता’ करार दिया है। बहरहाल सूरजपुर बलरामपुर में अवैध गौण खनिज में शामिल पत्थर, कोयला,रेत सहित अन्य सामाग्रियों का खनन, संग्रहण व परिवहन का मुद्दा केवल कानून-व्यवस्था की समस्या नहीं, बल्कि यह पर्यावरण, आजीविका और प्रशासनिक विश्वसनीयता का सवाल है। जब तक बड़े तस्करों को संरक्षण देने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक छोटे वाहनों को पकड़ने की कार्रवाई केवल खानापूर्ती ही रहेगी। हाईकोर्ट का हस्तक्षेप इस मामले में उम्मीद की किरण है, लेकिन असली बदलाव तभी आएगा जब प्रशासन अपनी नीयत और नीति को पारदर्शी बनाएगा इसका जवाब आने वाले दिनों में खुद ही सामने आएगा।

सूरजपुर में फिर वही ढाक के तीन पात……

सूरजपुर जिला प्रशासन ने 13 मई 2025 को खनिज, राजस्व और पुलिस विभाग की संयुक्त कार्रवाई में ग्राम कुरूवां और राजापुर क्षेत्र से रेत के अवैध परिवहन में संलिप्त 5 वाहनों को जप्त करने का दावा किया। इनमें से 3 वाहन बिश्रामपुर थाने और 2 जयनगर थाने में रखे गए हैं। प्रशासन का कहना है कि वाहन मालिकों पर खनिज नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कार्रवाई केवल दिखावटी है…? सूत्रों के मुताबिक, बड़े तस्करों को कथित तौर पर विभागीय अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है, जिसके चलते वे बेखौफ होकर अवैध खनन, संग्रहण और परिवहन का धंधा चला रहे हैं।

बीते दिनों कुदरगढ़ में दर्शन के लिए गए अंबिकापुर के एक परिवार के सदस्य की अवैध खनन से बने गड्ढे में डूबने से मौत हो गई थी। इस मामले में भी जिला प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। न ही जवाबदेह अधिकारियों पर कार्रवाई की कोई जानकारी सार्वजनिक की गई। यह चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। क्या प्रशासन बड़े तस्करों के दबाव में है…? या फिर यह लापरवाही जानबूझकर की जा रही है?