बिलासपुर के लालखदान में मंगलवार को हुई मेमू पैसेंजर और मालगाड़ी की टक्कर में 11 लोगों की जान जाने के बाद जांच में विवाद पैदा हो गया है। रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) बीके मिश्रा की अगुवाई में जांच जारी है। पहले दिन 27 में से केवल 7 कर्मचारियों के बयान लिए गए, जिसमें मेडिकल, रिलीफ, लोको और कंट्रोल रूम के अधिकारी शामिल थे। आज सिग्नल, ऑपरेशन और ट्रैक टीम की पूछताछ की गई।

ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (एआईएलआरएसए) ने प्रारंभिक जांच रिपोर्ट पर आपत्ति जताई है। उनका दावा है कि रिपोर्ट पूर्वाग्रहपूर्ण तरीके से तैयार की गई और चालक दल को गलत तरीके से जिम्मेदार ठहराया गया। रिपोर्ट में तथ्यात्मक त्रुटियां और गलत सिग्नल नंबर दर्ज हैं। एआईएलआरएसए के अनुसार, सिग्नल फेल होने की संभावना रही, जिससे मेमू चालक दल ने हरा सिग्नल देखा और गति बढ़ा दी।
यूनियन ने कहा कि स्पीड फ्लो चार्ट से पता चलता है कि चालक दल ने आपातकालीन ब्रेक लगाया, लेकिन टक्कर होने से पहले ट्रेन नहीं रुकी। महासचिव अशोक कुमार राउत ने जोर देकर कहा कि प्रारंभिक निष्कर्ष पर्यवेक्षी अधिकारियों का है और अंतिम रिपोर्ट आने तक किसी को दोषी ठहराना सही नहीं।
वहीं, कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव ने भी कहा कि मृतक लोको पायलट को दोषी ठहराना उचित नहीं है और जांच निष्पक्ष तरीके से पूरी हो। उन्होंने अधिकारियों से अपील की कि तकनीकी टीम द्वारा जांच कर अंतिम रिपोर्ट पेश की जाए, ताकि किसी भी प्रकार की लीपापोती या अन्याय न हो।