पटना। बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने भीतर चल रही नाराजगियों को काफी हद तक शांत कर लिया है। पार्टी ने वोटिंग से पहले अपने 10 बड़े बागियों को मना लिया है, जिनमें 8 सीटें बीजेपी की हैं और 2 सीटें सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के हिस्से की हैं। इन बागियों के चुनाव लड़ने की स्थिति में एनडीए के समीकरण बिगड़ने की आशंका थी, लेकिन अब गठबंधन को राहत मिली है।
राज्य की 243 विधानसभा सीटों में सरकार बनाने के लिए 122 सीटों की जरूरत होती है। 2020 के चुनाव में एनडीए को 126 सीटों पर जीत मिली थी। ऐसे में इस बार पार्टी ने बागियों को मनाकर संभावित नुकसान को टालने की रणनीति अपनाई है।
दरभंगा जिले की अलीनगर सीट पर संजय सिंह ने मैथिली ठाकुर के खिलाफ बगावत की थी, लेकिन हाईकमान के हस्तक्षेप के बाद उन्होंने समर्थन देने का ऐलान किया। बरौली सीट पर जेडीयू प्रत्याशी मंजीत सिंह के खिलाफ रामप्रवेश राय नाराज थे, जिन्हें एनडीए ने मना लिया। इसी तरह राजनगर, गोपालगंज, नरकटियागंज, बक्सर और भागलपुर जैसी सीटों पर भी बीजेपी ने बागियों को समझाकर पर्चा वापस करवाया।
अमरपुर सीट पर जेडीयू के उम्मीदवार जयंत राज कुशवाहा के खिलाफ बगावत करने वाले मृणाल शेखर भी अब एनडीए के पक्ष में प्रचार कर रहे हैं। वहीं, तारापुर सीट पर वीआईपी नेता सकलदेव बिंद ने निर्दलीय पर्चा दाखिल किया था, लेकिन बाद में बीजेपी के उम्मीदवार सम्राट चौधरी के समर्थन में उतर आए।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी के इन प्रयासों से एनडीए की अंदरूनी स्थिति काफी हद तक मजबूत हुई है। जिन सीटों पर बगावत का असर पड़ सकता था, वहां अब एकजुटता का माहौल बन गया है।