राजकुमार मल, भाटापारा- टूटी ग्रिल। जर्जर होती कुर्सियां। नाम की खेल सामग्री। शेष जगह घरेलू और व्यापारिक संस्थानों से निकला वेस्ट। यह जगह पहचानी जाती है नगर पालिका सार्वजनिक उद्यान के नाम से। कुछ कदम की ही दूरी पर है पालिका प्रशासन का कार्यालय लेकिन व्यवस्थित करना तो दूर झांकने भी नहीं आते अधिकारी।
अफसर ही नहीं, जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा का जैसा शिकार यह उद्यान हो रहा है, उसकी मिसाल शायद ही कहीं और मिले। ऐसा इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि चारों तरफ से अवैध कब्जे और कूड़े के ढ़ेर में बदल चुका है हमारा मोती गार्डन। यही वजह है कि यहां असामाजिक तत्वों का डेरा हमेशा लगा रहता है।
टूट रहा अहाता
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कभी होती थी पक्की दीवार। जाने किसने सलाह दी ग्रिल लगवाने की। लगा तो दिया लेकिन देखरेख करना भूल गए या जानबूझकर भुला दिया। लिहाजा ग्रिल जहां-तहां से टूटने लगी है। भीतर बच्चों के खेलने के लिए जो नाम मात्र की सुविधा है उसे ‘अब नहीं है’ जैसा कहना ठीक ही ठीक होगा क्योंकि यह जर्जर हो चुकीं हैं। एकमात्र पैदल चलने वाला मार्ग ही सही है। यह इसलिए क्योंकि मॉर्निंग वॉक के शौकीन खूब हैं शहर में।
सही ठिकाना वेस्ट मैनेजमेंट का
बेकार में ही दिए जाते हैं इस पालिका को वेस्ट मैनेजमेंट के लिए करोड़ों की राशि क्योंकि शहर खूब जानता है कचरे का प्रबंधन करीब की नालियों में करना है। ऐसे में इस सार्वजनिक उद्यान से लगी नालियां सतह तक कचरे से भरीं हैं। शाम को लगने वाले फास्ट फूड काउंटरों का योगदान इस काम में सबसे ज्यादा मिलता है पालिका प्रशासन को। वैसे करीब के रहवासियों का सहयोग भी मिलता है।
खोजते रहिए प्रवेश द्वार को
नगर पालिका सार्वजनिक उद्यान जाने वालों को सबसे पहले खोज करनी होती है, प्रवेश के लिए मुख्य द्वार की, जो ठेले-खोमचों की वजह से बाधित हो चुका है। इसलिए वेस्ट मैनेजमेंट के लिए बनाए गए रास्ते ही काम आते हैं। प्रवेश करते ही हरियाली तो नजर आएगी लेकिन चौतरफा कूड़ा- करकट भी देखा जाता है। शेष बची जगह का उपयोग यह सोचकर करना होगा कि ‘हम उद्यान में हैं’।श्रेय की होड़
वेस्ट मैनेजमेंट के लिए राशि हर बरस पालिका प्रशासन को मिलती है लेकिन मैनेजमेंट कैसा है ? यह जानना है तो इस उद्यान में पहुंचें। पहली नजर में ही समझ में आ जाएगा कि मैनेजमेंट कैसा है ? अब आएं जनप्रतिनिधियों पर, जिन्होंने इस मसले पर मजबूती से मुंह बंद किया हुआ है। एक बार फिर से वेस्ट मैनेजमेंट के लिए आवंटन जारी हुआ है। ऐसे में एक सवाल- रोक पाएंगे नगरपालिका सार्वजनिक उद्यान को डम्प यार्ड बनने से?