राजकुमार मल
भाटापारा- खुश हैं राजमा और झुरगा। मुस्कुरा रहा है मसूर यह देखकर कि अरसे बाद उपभोक्ता याद कर रहे हैं। अलबत्ता चना और मटर की सभी प्रजातियों में मांग और कीमत स्थिर है।
हरी सब्जियां बेतहाशा गर्म, फलत: उपभोक्ता मांग अब सूखी सब्जियों की ओर जाती नजर आ रही है। डिमांड में राजमा और झुरगा सबसे आगे है तो होटल, ढाबों और स्ट्रीट फूड काउंटरों की डिमांड पूर्ववत स्तर पर चना और मटर में बनी हुई है।
याद आई सूखी सब्जियों की

हर मौसम में मांग में रहते हैं राजमा और झुरगा लेकिन अरसे बाद इसमें जोरदार इजाफा देखने में आ रहा है क्योंकि हरी सब्जियां कीमत की नई ऊंचाई छू रहीं हैं। इसलिए सूखी सब्जियां राहत भरा विकल्प बन रहीं हैं क्योंकि कीमत क्रय शक्ति के भीतर ही है। फिलहाल राजमा 130 रुपए और झुरगा 100 रुपए किलो जैसी कीमत पर मिल रहा है। सामान्य खरीदी के बीच हरा मटर 55 से 60 और सफेद मटर 48 रुपए जैसी कीमत पर मांग में है।
डिमांड चना में भी

मांग के दबाव में नहीं है लेकिन स्ट्रीट फूड काउंटरों की नियमित खरीदी में है चना। आंशिक परिवर्तन यह कि घरेलू मांग भी अब आहिस्ता-आहिस्ता बढ़त की ओर है। स्थिर भाव के बीच चना काबुली 100 से 150 रुपए किलो और चना खैरी आंशिक वृद्धि के बाद 75 रुपए किलो जैसी क्रय शक्ति के भीतर कीमत पर स्थिर है। कीमत में वृद्धि चना खैरी में इसलिए क्योंकि फूटा चना उत्पादन करने वाली इकाइयों की मांग निकली हुई है।
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मसूर मुस्कुरा रहा
मध्य आय वर्ग का उपभोक्ता मसूर की खरीदी को लेकर जैसा उत्साह दिखा रहा है, उसे देखकर मुस्कुरा रहा है मसूर क्योंकि अरसे बाद उसकी याद उपभोक्ताओं को आ रही है। खरीदी की मात्रा भले ही सीमित हो लेकिन 90 रुपए जैसी शांत कीमत पर मसूर की खरीदी की जा सकती है। तेजी की धारणा इसलिए नहीं है क्योंकि भरपूर भंडारण का किया जाना बताया जा रहा है।