Bhatapara Latest News संकट में है धरती,अब नहीं मंडराती मधुमक्खियां 

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राजकुमार मल

 

Bhatapara Latest News खाद्य फसलों में परागण और निषेचन की प्रक्रिया हुई बाधित

 

 

Bhatapara Latest News भाटापारा- दलहन, तिलहन और नींबू, लीची प्रजाति की फसलों पर अब मधुमक्खियां नहीं मंडराती। परागण और निषेचन में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली यह मधुमक्खियां, इसलिए दूर होने लगीं हैं क्योंकि अप्रैल के शुरुआती दिनों से ही तापमान बढ़ जा रहा है। खेती के आधुनिक तौर-तरीके और कीटनाशक छिड़काव में समय व मानक मात्रा का ध्यान नहीं रखा जाना भी, दूरी के लिए जिम्मेदार माने जा रहे हैं।

परागण और निषेचन। किसी भी फसल के लिए जरूरी होते हैं। यह काम मधुमक्खी और भंवरे बखूबी के साथ पूरा करते हैं। अन्य कीट-पतंगे भी सहायक बनते हैं इस प्राकृतिक प्रक्रिया में लेकिन जलवायु परिवर्तन और खेती में आधुनिक तौर तरीकों का उपयोग बढ़ रहा है। उसने मित्र कीट-पतंगों का जीवन खतरे में डाल दिया है। ताजा अध्ययन में मधुमक्खियों की तेजी से कम होती आबादी की जानकारी सामने आई है। यह स्थिति दलहन, तिलहन और नींबू, लीची फसलों के लिए घातक मानी जा रही हैं।

Bhatapara Latest News बदल रहा जीवन चक्र

 

 

38 डिग्री सेल्सियस तक तापमान सही माना गया है, रानी मधुमक्खी के लिए लेकिन जलवायु परिवर्तन के दौर में अप्रैल की शुरुआत, इससे ज्यादा तापमान से हो रही है। यही वह समय है, जब रानी मधुमक्खी प्रजनन के दौर से गुजर रही होती है लेकिन तापमान का बढ़ता स्तर, न केवल प्रजनन क्षमता पर प्रतिकूल असर डाल रहा है बल्कि आबादी को भी कम कर रहा है। इसे मधुमक्खी पालन व्यवसाय और दलहन-तिलहन फसलों के लिए बेहद नुकसान पहुंचाने वाला माना जा रहा है।

Bhatapara Latest News बड़ी वजह यह भी

 

 

तकनीक का उपयोग खेती- किसानी के क्षेत्र में काफी बढ़ा है। अनुपात में कीटनाशक का छिड़काव भी किसान, मानक मात्रा से न केवल ज्यादा कर रहे हैं बल्कि छिड़काव के लिए सुझाए जाने वाले समय का भी ध्यान नहीं रख रहें हैं। ऐसे में मित्र कीट-पतंगो में शुमार मधुमक्खियों की आबादी तेजी से घट रही है। इसका असर दलहन, तिलहन और नींबू वर्गीय फसलों के कमजोर उत्पादन के रूप में देखा जा रहा है। फूलों की बागवानी से भी यही शिकायतें आ रहीं है।

Bhatapara Latest News ऐसे करतीं हैं सहायता

 

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अनुसार रानी मधुमक्खी को घेरे में लेकर चलने वाली मधुमक्खियां, फूलों का सही तरीके से परागण और निषेचन करतीं हैं। इस क्रिया में फसलों पर बैठने के बाद एकत्रित पराग और मकरंद छोड़ देतीं हैं। उससे परागण व निषेचन को मदद मिलती है और यह प्रक्रिया फसल की बढ़वार और उत्पादन के काम में सहायक बनती है। मधुमक्खियों की यह क्रिया, दलहन, तिलहन और नींबू वर्गीय फसलों के लिए बेहद अहम मानी गई है।

 

Bhatapara Latest News खत्म होने की कगार पर हैं मधुमक्खियां

 

मधुमक्खियां पर्यावरण के लिए आवश्यक तो है, लेकिन अब इनकी घटती संख्या चिंता का विषय है। मधुमक्खियों की घटती संख्या के लिए बढ़ता तापमान, वनों की कटाई, मधुमक्खी के छत्ते के लिए सुरक्षित जगह की कमी, फसलों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कीटनाशकों का अंधाधुंध उपयोग, मिट्टी में होने वाले बदलाव आदि जिम्मेदार है। साथ ही मोबाइल फोन से निकलने वाली तरंगे मधुमक्खियां के लिए भी खतरनाक मानी जाती है।

 

अजीत विलियम्स, साइंटिस्ट (फॉरेस्ट्री), बीटीसी कॉलेज ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन, बिलासपुर

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