Bhatapara Braking : हिसाब बराबर करेगा भाटापारा, जिले की मांग, बन रहा गंभीर मुद्दा

Bhatapara Braking :

राजकुमार मल

 

Bhatapara Braking विधानसभा चुनाव में ऐसा गंभीर मुद्दा होगा जिसकी अनदेखी पक्ष और विपक्ष दोनों को पड़ेगा  भारी 

 

Bhatapara Braking भाटापारा- 34 साल पहले दुबे आयोग ने अनुशंसा की थी भाटापारा को जिला बनाने की। कई जिले बने लेकिन नहीं बना, तो केवल भाटापारा। यकीन मानिए कुछ महिने बाद होने जा रहे विधानसभा चुनाव में यह ऐसा गंभीर मुद्दा होगा, जिसकी अनदेखी पक्ष और विपक्ष दोनों को भारी पड़ेगी।

और कितने बरस इंतजार करना होगा जिला के लिए ? यह एक ऐसा सवाल है, जिसके जवाब देने से सत्ता पक्ष पीछे हट रहा है। विपक्ष यानी भाजपा को लगातार नेतृत्व सौंपकर भाटापारा पछता रहा है। नाराजगी इसलिए भी है क्योंकि सत्ता में रहते हुए, ना तो जिला बनाने की इच्छा जताई, ना मांग रखी। यह नाराजगी भारी ही नहीं, बेहद गंभीर नतीजे की ओर बढ़ती नजर आ रही है।

इसलिए अनुशंसा

34 साल पहले जिला पुनर्गठन के लिए बने दुबे आयोग ने भाटापारा को जिला के लिए पूरी तरह योग्य माना था। भौगोलिक कारण तो थे ही, साथ ही वाणिज्यिक वजहें भी थीं। जातिगत समीकरण को भी ध्यान में रखा था। आज स्थितियां और भी मजबूत हो गई हैं, जिला निर्माण के लिए लेकिन पात्रता रखने के बावजूद हक देने से अलग रखा जा रहा है।

पहला पुरजोर समर्थन

कांग्रेस से पहले व्यक्ति थे स्वर्गीय नंद कुमार पटेल, जिन्होंने भाटापारा को जिला बनाने के लिए दुबे आयोग की सिफारिशों को एकदम सही माना था। वायदा किया था कि जब भी कांग्रेस सत्ता में आएगी, पहला काम भाटापारा को जिला बनाने का होगा। सत्ता में है कांग्रेस लेकिन उसका मौन चुभ रहा है भाटापारा को।

की थी घोषणा

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल। माना जाता है सभी का ध्यान रखते हैं। इन्होंने भी जन भावनाओं को देखते हुए शहर प्रवास के दौरान लोकोत्सव मैदान में घोषणा की थी कि भाटापारा को जिला अवश्य बनाया जाएगा। बाद के दिनों में कई जिले बने, भाटापारा देखता रहा। पूछ रहा विधानसभा क्षेत्र कि भावनाओं से खिलवाड़ कब तक करते रहेंगे ?

भरपूर उपेक्षा

भारतीय जनता पार्टी। नाराज है क्षेत्र, इससे भी। जैसी उपेक्षा इसने की, किसी और ने शायद ही की होगी। इसके बावजूद इस पर ही, न केवल भरोसा जताया बल्कि देता रहा अपना नेतृत्व करने का मौका। संभाल रहे नेतृत्व से जो मिला, उसे सबक मानकर चल रहा है भाटापारा।

बढ़ रही नाराजगी

जिला निर्माण संघर्ष समिति। अनवरत चलने वाले आंदोलन के मंच पर कांग्रेस के सभी स्थानीय नेताओं ने हिस्सेदारी दिखाई। सहमति दी मांग को लेकिन सत्ता में रहते हुए जिला बनाने को लेकर नेतृत्व तक न तो पुरजोर ढंग से बात रखी, ना मजबूती दिखाई। नाराजगी इनसे भी है।

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