राजकुमार मल
Bhatapara जिम्मेदारी से भाग रहा पक्ष और विपक्ष
भाटापारा– तालाबों का अधूरा सौंदर्यीकरण। इंडोर स्टेडियम, नए तो बने नहीं लेकिन पुराने खेल मैदानों की दुर्दशा। इन सबसे उपर जिला निर्माण का मुद्दा इसलिए गंभीर हो रहा है क्योंकि विकास की राह इससे ही खुलती । यकीन मानिए यह कुछ ऐसे ज्वलंत मुद्दे उठने वाले हैं, जो माननीयों के माथे पर शिकन लाने वाली है।
विधानसभा चुनाव के लिए कुछ ही महीने शेष रह गए हैं। तैयारियां चालू हो चुकी हैं लेकिन इस बार विधानसभा क्षेत्र का मूड बदला हुआ है क्योंकि अब समझ में आ चुका है कि उसे हर बार छला जाता रहा है। इसलिए आश्वासन नहीं, ठोस काम होता दिखाया जाना होगा। समानांतर में ग्रामीण क्षेत्र में भी नाराजगी देखी जा रही है क्योंकि स्थानीय समस्याएं जस- की-तस हैं।
अनदेखी पड़ेगी महंगी
पात्रता रखता है। हकदार था जिला निर्माण के लिए लेकिन जैसी अनदेखी की गई और की जा रही है, उसने एक बात तो स्पष्ट कर दी है कि छल किया। कर भी रहे हैं। नाराजगी भाजपा से इसलिए ज्यादा है क्योंकि तीन बार नेतृत्व सौंपा, फिर भी मौन रहे। कम नहीं कांग्रेस भी क्योंकि वह भी यही कर रही है। याने चुप्पी इसने भी साध रखी है।
किसकी जिम्मेदारी
कइहा तालाब, नक्खी बाबा तालाब, मयूर शिशु मंदिर के सामने का तालाब और रामसागर पारा का तालाब। कब आएंगे इनके अच्छे दिन? कल्याण सागर भी है संज्ञान में। तय मानिए कि जवाब संतोषजनक नहीं मिलेंगे क्योंकि नाकामियों का ठीकरा, एक-दूसरे के सिर पर फोड़ने का दौर चालू हो चुका है। इसके बावजूद जिम्मेदारी लेनी होगी, पक्ष और विपक्ष को क्योंकि पहला सत्ता में है और दूसरा विधानसभा क्षेत्र का नेतृत्व संभाल रहा है।
दुर्दशा खूब
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शासन से मिलती है सुविधा लेकिन अपने क्षेत्र में कभी यह मिली होगी यह कभी देखा नहीं गया क्योंकि खिलाड़ी खुद के पैसों से संसाधन जुटा रहे हैं। हद तो यह कि खेल मैदान तक नहीं दिया जा सका।
इंडोर स्टेडियम की योजना निवर्तमान भाजपा सरकार की देन थी लेकिन काम अब तक लंबित है। पुराने खेल मैदानों का हाल कैसा होगा ? यह देखने वाली बात होगी।