राजकुमार मल
Bhatapara सड़क पर फैलने वाले नालियों के दूषित पानी की बड़ी वजह
भाटापारा– घर और संस्थान का कचरा, सड़क पर। तेज हवा में यही कचरे नालियों में समाते हैं। नतीजा जाम नाली के रूप में देखा जाता है और यही स्थिति सड़क पर फैलने वाले नालियों के दूषित पानी की बड़ी वजह बन रही है।
यह शहर भाटापारा है। बीते 2 दिन से जैसी बारिश हो रही है उसने पालिका ही नहीं, जिम्मेदार नागरिकों की अस्त-व्यस्त दिनचर्या की भी पोल खोली है। खूब कोसा जा रहा है, पालिका प्रशासन को सफाई व्यवस्था के लिए। एक भी सवाल नहीं पूछे जा रहे कि डस्टबिन तो दिए थे, कहां हैं ? डोर-टू-डोर वेस्ट कलेक्शन हो रहा है फिर भी वेस्ट बाहर क्यों फेंके जा रहे हैं ?
जिम्मेदार हम भी
डोर-टू-डोर वेस्ट कलेक्शन हो रहा है, फिर क्यों नालियों व सड़कों पर फेंक रहे हैं कचरा। यह काम मुंह अंधेरे या शाम ढलते खूब देखे जा सकते हैं। और हां, घर और संस्थानों के सामने सड़क साफ करने से निकला वेस्ट भी, ऐसे ही बीच सड़क में क्यों छोड़ दिया जाता है,क्योंकि बारिश में बहकर यह भी नालियों को जाम करता है।
कहां है डस्टबिन
दिए गए हैं डस्टबिन। निर्धारित जगह भी चिन्हित की गई है कचरा फेंकने के लिए। ऐसे में क्यों सड़क और नालियों में फेंका जा रहा है कचरा ? कम वे भी नहीं हैं जो रोज शाम चाट, मोमोस, मूंगफली, चना, अंडा, आमलेट और दाबेली बनाकर ठेलों में बेचते हैं। इनका वेस्ट भी नालियों में ही डाला जा रहा है।
अस्त-व्यस्त कार्यशैली
नियमित कामकाज की शैली जैसी होनी चाहिए उसका स्पष्ट अभाव है पालिका प्रशासन में। मॉनिटरिंग तो कभी होती नहीं देखी गई। अधिकारियों को फील्ड में जायजा लेते देखा नहीं शहर ने। यही वजह है कि नियमित कामकाज में चुस्ती नहीं, सुस्ती चौतरफा फैल रही है।