हम सौभाग्यशाली हैं कि संगीत विश्वविद्यालय में कार्यक्रम संपन्न हुआ- दिनेश खन्ना, पूर्व निदेशक एनएसडी
एनएसडी की टीम ने सफल आयोजन के लिये संगीत विश्वविद्यालय की प्रशंसा की
प्रदेशभर के रंगकर्मियों का प्रतिदिन लगा रहा जमावड़ा
खैरागढ़
दुनिया के सबसे बड़े रंगमंच भारत रंग महोत्सव का छः दिवसीय आयोजन नाट्य विभाग, इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के संयोजन में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। कार्यक्रम के आयोजन को लेकर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली के पूर्व निदेशक श्री दिनेश खन्ना ने कहा कि हम सौभाग्यशाली हैं कि कला के तीर्थ की तरह स्थापित इस संगीत विश्वविद्यालय में यह आयोजन संपन्न हुआ। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुये कहा कि मैंने विश्वविद्यालय पहुंचते ही पूरे परिसर का भ्रमण किया जहां छात्रों द्वारा बनाई गई विभिन्न कलाओं को देखकर मन प्रफुल्लित हो गया। छात्रों की कलाएं जीवंत प्रतीत हो रही थी, ऐसी कलाएं कहीं और देखने को नहीं मिली। हयवदन नाटक के निर्देशक श्री देवेश चटोपाध्याय ने कहा कि वें विगत 11 वर्षों से भारत रंग महोत्सव में शामिल होकर देश व विदेश के विभिन्न स्थानों पर प्रस्तुति दी हैं परंतु इस विश्वविद्यालय की तरह कलात्मक वातावरण कहीं देखने को नहीं मिला। उन्होंने मंच सज्जा सहित विश्वविद्यालय की विभिन्न कलाओं की भूरी-भूरी प्रशंसा की। असम की टीम ने विश्वविद्यालय के मंच की प्रशंसा की और दोबारा यहां कार्यक्रम प्रस्तुति की इच्छा जाहिर की। पुणे की टीम व विश्वविद्यालय के नाट्य विभाग के विद्यार्थियों द्वारा अपने रंगमंचीय गतिविधियों का आदान-प्रदान किया गया। उद्घाटन अवसर पर एंबियंस परफॉर्मेंस के अंतर्गत लोक संगीत एवं कला संकाय के विद्यार्थियों द्वारा सरहुल नृत्य का प्रदर्शन किया गया। उक्त आयोजन में खास बात यह रही कि राष्ट्रीय स्तर के इस आयोजन को देखने प्रतिदिन रायपुर, बिलासपुर, धमतरी, भिलाई, दुर्ग सहित प्रदेशभर के रंगकर्मियों का जमावड़ा लगा रहा।
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एनएसडी की टीम ने संगीत विश्वविद्यालय की प्रशंसा की
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय नई दिल्ली के पूर्व निदेशक सहित देश के विभिन्न शहरों से पहुंचे ख्याति प्राप्त कलाकारों ने भी इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय की प्रशंसा की। खासकर विश्वविद्यालय के नाट्य विभाग की सराहना करते हुये उन्होंने इस सफल आयोजन के लिये भारत रंग महोत्सव के संयोजक व अधिष्ठाता डाॅ.योगेन्द्र चौबे सहित पूरी टीम को बधाई दी। दिनांक 04 से 09 फरवरी तक आयोजित इस रंग महोत्सव में देश-दुनिया के ख्याति प्राप्त रचनाकारों की नाटकों का प्रदर्शन विभिन्न भाषाओं में किया गया। इस महोत्सव की खास बात यह रही कि कलाकारों के द्वारा नाटक की प्रस्तुति बेहतर अभिनय के साथ दी गई जिसके चलते अलग-अलग भाषाओं में नाट्य मंचन होने के बाद भी लोगों को नाटक का उद्देश्य भली भांति समझ आ रहा था। उक्त महोत्सव का आनंद न सिर्फ विश्वविद्यालय के छात्रों ने लिया बल्कि अन्य शहरों से भी इस नाटक को देखने दर्शकों की भीड़ बनी रही।
छः दिनों की नाट्य प्रस्तुति ने मानव जीवन के विभिन्न आयामों को दर्शाया
विश्वविद्यालय में छः दिनों तक आयोजित नाट्य प्रस्तुति में मानव जीवन के विभिन्न आयामों को दर्शाया गया जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। प्रथम दिन आयोजित नर-नारी उर्फ थैंक्यू बाबा लोचनदास की नाट्य प्रस्तुति में मानव जीवन की विचारोत्तेजक, लैंगिक संबंधों और सामाजिक मापदंडों की जटिलताओं के पड़ताल को दर्शकों के समक्ष रखा। दूसरे दिन की नाट्य प्रस्तुति हयवदन में मानव स्वभाव की जटिलताओं, पहचान की तलाश व सामाजिक अपेेक्षाओं की खोज को दर्शाया गया है। यह इस विचार पर आधारित था कि मनुष्य अपूर्ण हैं और इसीलिये उसकी कई सीमाएं हैं। तीसरे दिन मंगरी नाटक की प्रस्तुति में असम की पहली महिला स्वतंत्रता सेनानी मंगरी ओरंग की कहानी बताई गई। किस तरह उसने अंग्रेजों के खिलाफ जाकर अफीम विरोधी अभियान की शुरूआत की और अंग्रेजी हुकुमत का विरोध किया। चैथे दिन संस्कृत कवि भास की रचना मध्यम व्यायोग के माध्यम से महाभारत के भीम व उसके पुत्र घटोत्कच के बीच मुठभेड़ की कहानी है जिसमें भाईचारा, बलिदान और एक योद्धा के कर्तव्य जैसे विषयों की खोज करती है। पांचवे दिन की नदपावादाई कहानी एक ऐसी महिला की कहानी है जो पुरूषों के लिये आरक्षित भूमिका को तोड़ते हुये अपने गांव के लोगों का अंतिम संस्कार करती है। उन सांस्कृतिक मानदंडों को चुनौती देते हुये श्मशान में उन अनुष्ठानों को पूरा करती है जो पुरूषों के लिये आरक्षित है। कार्यक्रम के छठवें (अंतिम) दिन क्राॅस पर्पज की प्रस्तुति दी गई। नाटक क्राॅस पर्पज मनुष्य की खुशी की तलाश और उसके सामने आने वाली बाधाओं की जांच करता है।
दिल्ली में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व करेगी विश्वविद्यालय के नाट्य विभाग की टीम
दिल्ली में आयोजित भारत रंग महोत्सव में इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय के नाट्य विभाग के कलाकारों द्वारा बहादुर कलारिन की प्रस्तुति दी जायेगी। शनिवार 15 फरवरी को नाट्य विभाग के छात्र कलाकार अधिष्ठाता व नाट्य विभागाध्यक्ष डाॅ.योगेन्द्र चौबे के निर्देशन में दिल्ली पहुंचकर छत्तीसगढ़ी नाटक बहादुर कलारिन की प्रस्तुति देंगे। खास बात यह है कि उक्त नाट्य प्रस्तुति कलाकारों के द्वारा छत्तीसगढ़ी भाषा में दी जायेगी। रंग महोत्सव के प्रथम दिन कुलपति श्री सत्य नारायण राठौर ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया और उपस्थित दर्शकों से नाटक को नाटक की तरह देखने की अपील की थी। कार्यक्रम के उद्घाटन सहित समापन तक प्रतिदिन विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री प्रेम कुमार पटेल, अधिष्ठातागण प्रो.डाॅ. मृदुला शुक्ल, प्रो.डाॅ.नमन दत्त, प्रो.डाॅ. नीता गहरवार, प्रो.डाॅ. राजन यादव, डाॅ. देवमाईत मिंज व सहायक कुलसचिव श्री राजेश कुमार गुप्ता सहित अधिकारियों, प्राध्यापकों, कर्मचारियों, संगतकारों सहित विद्यार्थियों ने कार्यक्रम का आनंद लिया। महोत्सव का समापन 9 फरवरी को देश के प्रतिष्ठित नाट्य निर्देशक संगीत नाटक अकादमी द्वारा सम्मानित श्री राजकमल नायक के मुख्य आतिथ्य और प्रसिद्ध साहित्यकार श्री जीवन यदु, जिला सत्र न्यायाधीश खैरागढ़ श्री चन्द्र कुमार कश्यप कुलसचिव श्री प्रेमकुमार पटेल, एनएसडी के प्रतिनिधि श्री दीपांकर पाल एवं अधिष्ठाता कला संकाय प्रो मृदुला शुक्ल की उपस्थिति में हुआ। उक्त छः दिवसीय कार्यक्रम का सफल संयोजन अधिष्ठाता एवं विभागाध्यक्ष थियेटर डॉ. योगेंद्र चौबे ने किया।