(Bharat Jodo Yatra) भावनात्मक सवालों पर प्रभावशाली साबित हुई भारत जोड़ो यात्रा

(Bharat Jodo Yatra)

(Bharat Jodo Yatra) प्रभावशाली शुरुआत के बाद

(Bharat Jodo Yatra) अब चुनौती इसके आगे है। पहली गतिविधि के रूप में भारत जोड़ो यात्रा भावनात्मक सवालों पर प्रभावशाली साबित हुई। लेकिन अगली गतिविधियों में लोग उन ठोस प्रश्नों पर राहुल गांधी या कांग्रेस से वैकल्पिक मार्ग बताने की उम्मीद करेंगे, जिनसे उनकी जिंदगी मुहाल हो गई है।

(Bharat Jodo Yatra) राहुल गांधी ने अपनी भारत जोड़ो यात्रा की समाप्ति के मौके पर कहा कि जो अभियान उन्होंने छेड़ा है, यह उसका अंत नहीं है। (Bharat Jodo Yatra) इसके आगे वे अपना अगला कदम लेकर आएंगे। उन्होंने उचित ही कहा कि जिस संघर्ष के क्रम में उन्होंने यह यात्रा की, वह सिर्फ एक शुरुआत है।

बहुत से लोग उनसे सहमत होंगे कि उनकी यह शुरुआत इस बात को जताने में ठोस रूप से कामयाब रही कि भारतीय जनता पार्टी भारत को जैसी पहचान देने की कोशिश कर रही है, देश की जनसंख्या के बहुत बड़े हिस्से ने उसे स्वीकार नहीं किया है। (Bharat Jodo Yatra) वह हिस्सा भारत को उसी रूप में देखना चाहता है, जिसकी परिकल्पना स्वतंत्रता आंदोलन के दिनों में सामने आई थी।

कन्याकुमारी से कश्मीर तक जिस तरह लोगों का जुड़ाव इस यात्रा से बना, उससे यह साफ संकेत मिला कि देश को जिस दिशा में ले जाया गया है, उससे भारतीय जनमत का बहुत बड़ा हिस्सा असंतुष्ट है। भारत जोड़ो यात्रा ऐसे तमाम लोगों के लिए अपनी भावनाओं को व्यक्त करने का एक मौका बनी।

राहुल गांधी ने यह पद यात्रा शुरू करने से पहले इसके जो कारण बताए थे, उसे जनता का यह हिस्सा सही मानता है। राहुल गांधी ने यात्रा शुरू करने का कारण यह बताया था कि अब चूंकि पारंपरिक रूप से विपक्ष की भूमिका निभाने की स्थितियां नहीं बची हैं, इसलिए सीधे जनता के बीच जाने के अलावा कोई और चारा नहीं है।

वर्तमान सरकार के तहत जिस तरह से संवैधानिक संस्थानों और मीडिया पर पूरा नियंत्रण कर लिया गया है, जिस तरह अब संसद तक में सरकार के लिए असहज बातों को कहने की अनुमति नहीं है, और जिस तरह चुनावों में अब सभी पक्षों के लिए समान धरातल नहीं बचा है, उसके बीच अब राजनीति करने का तरीका बदलना होगा।

बदलाव का यही प्रयास ये यात्रा थी। लेकिन अब चुनौती इसके आगे है। पहली गतिविधि भावनात्मक सवालों पर प्रभावशाली साबित हुई। लेकिन अगली गतिविधियों में लोग उन ठोस प्रश्नों पर राहुल गांधी या कांग्रेस से वैकल्पिक मार्ग बताने की उम्मीद करेंगे, जिनसे उनकी जिंदगी मुहाल हो गई है।

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