Bhanupratappur श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिवस
Bhanupratappur भानुप्रतापपुर । धन संपत्ति किसी का भी नही हुआ है बावजूद लोग उसे पाने के लिए अपनी पूरी जिंदगी लगा देते है, यदि गोविंद को पाने के लिए इतना ही प्रयास करे तो जीवन सफल हो जाएंगे।
श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिवस पंडित अविनाश महराज ने श्री कृष्ण बाललीला,माखन चोरी गोवर्धन पूजा,छप्पन भोग की कथा बताई।
महराज जी ने कहा कि गौ शाला से पवित्र स्थान कोई और नही हो सकता है। क्योंकि गौ माता में तैतीस कोटि देवी देवताओं का वास रहता है। गौ मूत्र एवं गोबर में लक्ष्मी एवं गंगा की वास होती है। आज गौ माता को आवारा पशु की संज्ञा दी है, लेकिन वास्तव में संसार व लोग आवारा है, माता कभी आवारा नही हो सकती।
श्रीमद्भागवत कहती है कि गोविंद कभी किसी को नही पकड़ते यदि पकड़ ले तो उसे कभी नही छोड़ते बल्कि भवपार करवा देते है। पूतना राक्षसी जो गोविंद को मारने आई थी लेकिन उसे भी बैकुंठ धाम भेज दिया। राम से बढ़कर राम के नाम को बताया गया है। रामनाम के महिमा से पत्थर भी पानी मे तैर गया।
श्रीमद्भागवत कथा में भगवान श्रीकृष्ण की माखन चोरी लीला हो या गोपियों के वस्त्र चोरी करने की लीला। प्रत्येक लीला में एक संदेश छिपा है। वह चोरी करके भी महान हुए क्योंकि चोरी के बाद भी उनका भाव चोरी का नहीं था। कल युग में मूर्ख मनुष्य भगवान की लीलाओं को नहीं समझ सकता। भगवान की लीलाओं को समझने के लिए भक्त बनना जरूरी है और भक्ति में गोपियों वाले भाव को जाग्रत कर ही हम भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं को समझ सकते है। गोवर्धन पूजा की लीला का प्रसंग सुनाते हुए कथा वाचक ने कहा कि भगवान इंद्र को महाशक्तिशाली होने का घमंड हो गया था। भगवान होकर भी जब उन्हें अपने बल का अभिमान हुआ तो भगवान श्रीकृष्ण ने बाल अवस्था में भी 7 दिन अपनी अंगुली पर गिरिराज को धारण किया। 7 दिन तक हुई मूसलाधार बारिश से पूरे ब्रज में इंद्र जब ब्रज वासियों को कोई हानि नहीं पहुंचा पाए।