Beginning of Atishi era: आतिशी युग का आगाज: दिल्ली की CM बनीं आतिशी, मंत्रियों ने भी ली शपथ

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी ने शनिवार को दिल्ली की नई मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. पहली बार दक्षिणी दिल्ली की कालकाजी विधानसभा सीट से विधायक बनीं आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री हैं. इससे पहले भाजपा से सुषमा स्वराज और कांग्रेस की ओर से शीला दीक्षित दिल्ली की सत्ता संभाल चुकी हैं. आतिशी के साथ पांच कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज, गोपाल राय, कैलाश गहलोत, इमरान हुसैन और मुकेश अहलावत ने भी मंत्री पद की शपथ ली. शपथ समारोह में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी पहुंचे. समारोह में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता भी मौजूद, भाजपा सांसद रामवीर सिंह बिधूड़ी भी मौजूद रहे. पंजाबी राजपूत परिवार से आने वाली आतिशी ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएट हैं. 8 जून 1981 को जन्मीं आतिशी के पिता विजय सिंह दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहे हैं. नई दिल्ली स्प्रिंगडेल स्कूल से स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद आतिशी ने सेंट स्टीफंस कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और इसके बाद वह शेवनिंग स्कॉलरशिप पर पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी चली गईं. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से ही आतिशी ने शैक्षिक अनुसंधान में रोड्स स्कॉलर के रूप में दूसरी मास्टर डिग्री भी हासिल की. आतिशी का रुझान सामाजिक कार्यों की तरफ हुआ. ऑक्सफोर्ड से पढ़ाई के बाद उन्होंने सोशल एक्टिविस्ट के रूप में कार्य करना शुरू किया और मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में वह सात साल रहीं. इस अवधि में उन्होंने जैविक खेती और प्रगतिशील शिक्षा प्रणाली पर काम किया. आतिशी बतौर सोशल एक्टिविस्ट वाराणसी में भी एक्टिव रही हैं. उन्होंने कई एनजीओ के साथ काम किया और सोशल एक्टिविस्ट रहते ही भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे के आंदोलन से जुड़ीं और फिर स्थापना के समय से ही आम आदमी पार्टी के साथ जुड़ी हुई हैं. आतिशी ने आम आदमी पार्टी में कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं. वह 2013 में चुनावी डेब्यू करने वाली आम आदमी पार्टी का पहला मैनिफेस्टो तैयार करने वाली घोषणापत्र मसौदा समिति की भी सदस्य रहीं और शुरुआती दिनों में पार्टी की नीतियों को आकार देने में अहम भूमिका निभाई. आम आदमी पार्टी की प्रवक्ता के रूप में भी आतिशी ने प्रमुख मंचों पर मजबूती से पार्टी का पक्ष रखा. उन्हें सीएम केजरीवाल की विश्वासपात्र नेताओं में गिना ही जाता है, वह मनीष सिसोदिया की भी करीबी मानी जाती हैं. आतिशी ने जुलाई 2015 से अप्रैल 2018 तक शिक्षा विभाग में मनीष सिसोदिया की सलाहकार के रूप में काम किया. वह 2015 के खंडवा जल सत्याग्रह में शामिल रहीं ही, कानून लड़ाई भी लड़ी. 2020 के गोवा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने उन्हें राज्य के प्रभारी की जिम्मेदारी भी सौंपी थी जहां पार्टी दो सीटें जीतने में सफल रही थी. आतिशी ने वैसे तो चुनावी राजनीति में कदम पहले ही रख दिया था, लेकिन वह पहली बार 2020 में विधायक निर्वाचित हुई थीं. आतिशी 2020 के दिल्ली चुनाव में कालकाजी विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचीं. 2023 में आतिशी को पहली बार केजरीवाल कैबिनेट में जगह मिली और उनको उस शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी भी सौंपी गई जिसके लिए वह बतौर सलाहकार मनीष सिसोदिया के साथ काम कर चुकी थीं. केजरीवाल ने जेल में रहते करीब एक महीने पहले ही स्वतंत्रता दिवस पर झंडा फहराने के लिए भी आतिशी के ही नाम का प्रस्ताव एलजी से किया था. हालांकि एलजी ने कैलाश गहलोत को यह दायित्व सौंपा था.