धान खरीदी से पहले सेवा सहकारी समिति ने दिया अनिश्चितकालीन आंदोलन का अल्टीमेटम, जानें चार सूत्रीय मांगें

सूरजपुर। आगामी धान खरीदी शुरू होने से पहले छत्तीसगढ़ सेवा सहकारी कर्मचारी संघ ने सरकार को चेतावनी दी है कि उनकी चार सूत्रीय मांगों को नहीं माना गया तो 3 नवंबर से अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू किया जाएगा। संघ ने इस संबंध में सूरजपुर कलेक्टर और उप-पंजीयक सहकारी संस्थाओं को ज्ञापन सौंपा है।

संघ ने शुक्रवार को प्रदेश के 33 जिला मुख्यालयों पर रैली निकालकर मंत्रियों के नाम ज्ञापन सौंपे। इसके बाद 28 अक्टूबर को एक दिवसीय प्रदेश स्तरीय महाहुंकार ज्ञापन रैली आयोजित कर मंत्रियों को ज्ञापन दिया जाएगा। यदि मांगें नहीं मानी गईं तो 3 नवंबर से 11 नवंबर तक संभाग स्तरीय और 12 नवंबर से सरकार के निर्णय तक अनिश्चितकालीन आंदोलन जारी रहेगा


संघ की चार सूत्रीय प्रमुख मांगें

  1. धान खरीदी एवं भुगतान व्यवस्था:
    • धान परिदान के बाद समग्र सूखत राशि का भुगतान तुरंत समितियों को किया जाए।
    • वर्ष 2024-25 में परिवहन पश्चात संपूर्ण सूखत समिति को दिया जाए या प्रत्येक सप्ताह संपूर्ण परिवहन सुनिश्चित किया जाए।
    • शून्य शार्टेज प्रोत्साहन का प्रावधान और कमीशन, प्रशांगिक एवं सुरक्षा व्यय में बढ़ोतरी की जाए।
  2. समान प्रोत्साहन और प्रशासनिक जिम्मेदारी:
    • मध्यप्रदेश की तरह शासकीय उचित मूल्य दुकानदारों को प्रतिमाह ₹3000 प्रोत्साहन राशि दी जाए।
    • कलेक्टर द्वारा नामित प्रशासनिक धान खरीदी अधिकारी को खरीदी से लेकर परिवहन तक संपूर्ण धान सूखत की जिम्मेदारी लिखित में जारी की जाए।
  3. कर्मचारी नियोजन एवं नियमितीकरण:
    • आउटसोर्सिंग द्वारा कम्प्यूटर ऑपरेटर की नियुक्ति समाप्त कर विभागीय नियमितीकरण किया जाए।
    • सहकारी समितियों के नियमित कर्मचारियों के वेतनमान हेतु प्रत्येक समिति को 3-3 लाख रुपए प्रबंधकीय अनुदान दिया जाए।
  4. सेवानियम, लाभ और भर्ती सुधार:
    • 2018 सेवानियम संशोधन में भविष्य निधि, महंगाई भत्ता, ईएसआईसी सुविधा लागू की जाए।
    • समिति के दैनिक-संविदा कर्मचारियों को सीधी भर्ती में प्राथमिकता, बोनस अंक अनिवार्य, और बैंक के खाली पदों पर 50% भर्ती उम्र एवं योग्यता में शिथिलता के साथ सुनिश्चित की जाए।

संघ का कहना

संघ ने चेताया है कि यदि सरकार उनकी मांगों को समय पर नहीं मानेगी तो प्रदेशभर में सेवा और प्रशासनिक कार्य ठप होने का खतरा है।
यह आंदोलन धान खरीदी के समय में किसान और कर्मचारी दोनों के हित को प्रभावित कर सकता है।

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