रायपुर। छत्तीसगढ़ के रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों की सुविधा के लिए शुरू की गई बैटरी कार सेवा अब विवाद का कारण बन गई है। जहां यह सेवा यात्रियों के लिए राहत साबित हो रही है, वहीं रेलवे कुलियों के लिए रोजगार संकट बनकर सामने आई है।

रायपुर, दुर्ग रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए बैटरी कार सेवा की शुरुआत की जा रही है। इस सेवा के तहत प्रति यात्री 50 रुपये और सामान के लिए 30 रुपये शुल्क तय किया गया है। उद्देश्य है यात्रियों को एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म तक आसानी से पहुंचाना और भारी सामान ढोने में मदद करना।
लेकिन इस नई व्यवस्था से स्टेशन में काम करने वाले कुलियों का विरोध तेज हो गया है। कुलियों का कहना है कि पहले भारी सामान उठाने और प्लेटफार्म बदलने के लिए यात्री उनकी सेवाएं लेते थे, मगर अब बैटरी कारों की वजह से उनका रोजगार छिन रहा है।
6 अक्टूबर से रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग, रायगढ़ समेत कई स्टेशनों के सैकड़ों कुली अपने परिवारों के साथ रायपुर रेलवे स्टेशन परिसर में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। उनका कहना है कि यह सेवा उनकी रोज़ी-रोटी पर सीधा हमला है।
कुलियों ने कहा, “हमें यात्रियों की सुविधा से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन हमारे रोजगार का भी समाधान होना चाहिए। या तो बैटरी कार सेवा बंद की जाए, या फिर हमें रेलवे के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।”
यात्रियों के लिए यह सुविधा जहां राहत बनी है, वहीं कुलियों के भविष्य को लेकर सवाल खड़े कर रही है। अब देखना होगा कि रेलवे प्रशासन इस टकराव का हल किस तरह निकालता है।