उमेश कुमार डहरिया
Basic purpose of education चरित्र का निर्माण करना शिक्षा का मूल उद्देश्य
Basic purpose of education कटघोरा ! शिक्षा का मूल उद्देश्य हैं चरित्र का निर्माण करना, असत्य से सत्य की ओर ले जाना, बंधन से मुक्ति की ओर जाना लेकिन आज की शिक्षा भौतिकता की ओर ले जा रही है | भौतिक शिक्षा से भौतिकता की प्राप्ति होती है और नैतिक शिक्षा से चरित्र बनता है | इसलिए वर्तमान के समय प्रमाण भौतिक शिक्षा के साथ साथ बच्चो को नैतिक शिक्षा की भी आवश्यकता है । उक्त उदगार माउंट आबू राजस्थान से प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहे | वे शासकीय हयस्कुल , विजयनगर में छात्र ,छात्राए और शिक्षको को जीवन में नैतिक शिक्षा का महत्व विषय पर बोल रहे थे |
Basic purpose of education भगवान भाई ने कहा कि विद्यार्थियों को मुल्यांकन,आचरण,अनुकरण,लेखन,व्यवहारिक ज्ञान इत्यादि पर जोर देना होगा। वर्तमान के समाज में मूल्यों की कमी हर समस्या का मूल कारण हैं। उन्होंने कहा कि जब तक हमारे व्यवहारिक जीवन में परोपकार,सेवाभाव,त्याग,उदारता,पवित्रता,सहनशीलता,नम्रता,धैर्यता,सत्यता,ईमानदारी, आदि सद्गुण नहीं आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी हैं । शिक्षा एक बिज है जीवन एक वृक्ष है जब तक हमारे जीवन रूपी वृक्ष में गुण रूपी फल नहीं आते तब तक हमारी शिक्षा अधूरी है | समाज अमूर्त होता हैं और प्रेम,सद्भावना,भातृत्व,नैतिकता एवं मानवीय सद्गुणों से सचालित होता हैं।
Basic purpose of education उन्होंने कहा कि भौतिक शिक्षा से भौतिकता का विकास होगा और नैतिक शिक्षा से सर्वागिंण विकास होगा | नैतिक शिक्षा से ही हम अपने व्यक्तित्व का निर्माण करते है जो आगे चलकर कठिन परिस्थितियों का सामना करने का आत्मविवेक व आत्मबल प्रदान करता है । उन्होंने कहा की नैतिकता के अंग हैं – सच बोलना, चोरी न करना,अहिंसा, दूसरों के प्रति उदारता, शिष्टता, विनम्रता, सुशीलता आदि। नैतिक शिक्षा के अभाव के कारण ही आज जगत में अनुशासनहीनता, अपराध ,नशा-व्यसन, क्रोध,झगड़े आपसी मन मुटाव बढ़ता जा रहा है। नैतिक शिक्षा ही मानव को ‘मानव’ बनाती है क्योंकि नैतिक गुणों के बल पर ही मनुष्य वंदनीय बनता है। सारी दुनिया में नैतिकता अर्थात सच्चरित्रता के बल पर ही धन-दौलत, सुख और वैभव की नींव खड़ी है।
Basic purpose of education प्राचार्य कैलास कुमार तारक जी ने भी अपना उद्बोधन देते हुए कहा की नैतिक शिक्षा से ही छात्र-छात्राओं में सशक्तिकरण आ सकता है। उन्होंने आगे बताया कि नैतिकता के बिना जीवन अंधकार में हैं। नैतिक मूल्यों की कमी के कारण अज्ञानता, सामाजिक, कुरीतियां व्यसन, नशा, व्यभिचार आदि के कारण समाज पतन की ओर जाता है
स्थानीय ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र की प्रभारी बी के ज्योति बहन जी ने भी अपना उद्बोधन दिया और कहा की जब तक जीवन में आध्यात्मिकता नही है तब तक जीवन में नैतिकता नही आती है आध्यात्मिकता की परिभाषा बताते हुए उन्होंने कहा की स्वयं को जानना .पिता परमात्मा को जानना उर उसको याद करना ही आध्यात्मिकता है जिसको राजयोग कहते है |राजयोग को अपनी दिनचर्या का अंग बनाने की अपील किया|
बी के उदय भाई जी ने भगवान भाई का परिचय देते हुए कहा कि भगवान भाई ने 5000 से अधिक स्कुलो में और 800 अधिक जेलों (काराग्रह) नैतिक शिक्षा का पाठ पढाया है जिस कारण उनका नाम इण्डिया बुक ऑफ़ रिकार्ड में दर्ज हुआ है |
कार्यक्रम की शुरुवात स्वागत से की गयी और अंत में बी के भगवान भाई जी ने मन की एकाग्रता बढाने हेतु राजयोग मेंडिटेशन भी कराया |
कार्यक्रम के अंत में सीनियर शिक्षिका कमला पटेल जी ने ब्रह्माकुमारीज के इस कार्यक्रम के लिए अभार व्यक्त किया !
Bharatiya Janata Party government लोकसभा चुनाव 2024 के लिए शुभ संकेत नहीं है किसानो के साथ प्रदेश सरकार की धोखाधड़ी
भविष्य में ऐसे कार्यक्रम हेतु निमन्त्रण भी दिया|कार्यक्रम में बी के रचना बहन जी , बी के प्रकाश भाई जी, एन जी कुजूर, अनिल पटेल के साथ सभी शिक्षक उपस्थित थे