विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन जरूरी, अंधाधुंध विकास से आने वाली पीढ़ियां चुकाएंगी कीमत: मोहन भागवत

रायपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने बुधवार को रायपुर में युवा संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विकास, पर्यावरण और युवाओं के भविष्य पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि दुनिया अभी तक ऐसा विकास मॉडल नहीं बना पाई है जिसमें इन्फ्रास्ट्रक्चर और पर्यावरण का समानांतर विकास बिना नुकसान के हो सके। इसलिए अब संतुलित विकल्प तलाशना आवश्यक है।

अरावली पर्वत श्रृंखला का उदाहरण देते हुए डॉ. भागवत ने चेतावनी दी कि यदि अंधाधुंध विकास की यह दौड़ इसी तरह जारी रही तो आने वाली पीढ़ियां पर्यावरणीय संतुलन की भारी कीमत चुकाएंगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि इन्फ्रास्ट्रक्चर और प्रकृति दोनों का संतुलित विकास जरूरी है, इसके लिए नीतिगत बदलाव के साथ-साथ जीवनशैली में भी परिवर्तन लाना होगा।

तीन दिवसीय छत्तीसगढ़ प्रवास पर आए सरसंघचालक रायपुर के एम्स परिसर में आयोजित युवा संवाद कार्यक्रम में युवाओं से सीधे संवाद कर रहे थे। उन्होंने युवाओं से अपील की कि रोजगार और करियर के साथ-साथ पर्यावरण की जिम्मेदारी भी समझें और अपने छोटे-छोटे निर्णयों से सकारात्मक बदलाव की शुरुआत करें।

युवाओं में बढ़ते नशे की समस्या पर गहरी चिंता जताते हुए डॉ. भागवत ने कहा कि आज का युवा अंदर से अकेलापन महसूस कर रहा है। परिवारों में संवाद की कमी और रिश्तों के भावनात्मक रूप से तटस्थ हो जाने के कारण मोबाइल और नशा आसान विकल्प बनकर सामने आ रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि परिवार के भीतर बातचीत और भावनात्मक जुड़ाव मजबूत हो तो बाहर की बुरी आदतों की ओर आकर्षण कम हो जाएगा।

सरसंघचालक ने समाज और परिवार दोनों से आग्रह किया कि मिलकर ऐसा माहौल बनाएं जिसमें युवा अकेलेपन से भागकर नशे की ओर न जाएं, बल्कि सार्थक कार्यों में अपना समय लगाएं।

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