रायपुर की सड़कों का बुरा हाल: कचना में अधूरा नाला और डामरीकरण से बढ़ी अव्यवस्था

रायपुर। राजधानी की सड़कें इन दिनों अव्यवस्था का प्रतीक बन चुकी हैं। शहर में लगातार खुदाई, चौड़ीकरण, डामरीकरण और फिर दोबारा खुदाई का क्रम थमने का नाम नहीं ले रहा है। ताजा मामला कचना क्षेत्र का है, जहां बड़े अफसरों और जनप्रतिनिधियों के रहते भी सड़क निर्माण कार्यों में भारी अनियमितताएं देखने को मिल रही हैं। नाले का काम अधूरा छोड़कर रातों-रात सड़क पर डामर बिछाया जा रहा है, जिससे तकनीकी लापरवाही साफ झलकती है।

कचना में कई बार सड़क उखड़ी

कचना में सड़क निर्माण का हाल बेहद चिंताजनक है। पहले डामरीकरण किया गया, फिर चौड़ीकरण के लिए सड़क को दोबारा खुरचा गया। इसके बाद नाले का काम शुरू किया गया, लेकिन उसे अधूरा छोड़ फिर से नया डामरीकरण किया जा रहा है। स्थानीय लोग पूछ रहे हैं कि जब पानी डामर का सबसे बड़ा दुश्मन है, तो अधूरे नाले के साथ सड़क कैसे बनाई जा सकती है। लोगों को आशंका है कि नाला पूरा करने के लिए सड़क को एक बार फिर तोड़ा जाएगा, जिससे सरकारी धन की बर्बादी तय है।

बाउंड्री वॉल ने खड़ा किया बड़ा सवाल

कचना में सड़क पर बाउंड्री वॉल का मामला भी सामने आया है। हमिंग कोटरी के पास जिस स्थान पर पहले सड़क थी, वहां अब बाउंड्री वॉल बना दी गई है। यह स्थिति कई सवाल खड़े करती है—यदि जमीन निजी थी, तो सड़क कैसे बनाई गई थी, और यदि वह सड़क थी, तो बाउंड्री वॉल ने उसकी जगह कैसे ले ली। स्थानीय लोगों ने बताया कि लंबे समय तक जेसीबी खड़ी रहने के कारण रास्ता संकरा हो गया था और कई दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं। अब एक तरफ चौड़ीकरण चल रहा है, वहीं दूसरी तरफ बाउंड्री वॉल के कारण हमिंग कोटरी सड़क फिर से पतली हो गई है।

महापौर मीनल चौबे ने कहा—“मामले पर लिया जाएगा संज्ञान”

इस मामले पर रायपुर नगर निगम की महापौर मीनल चौबे से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें जनधारा टीम के माध्यम से इस अव्यवस्था की जानकारी मिली है। उन्होंने आश्वासन दिया कि तुरंत संज्ञान लेकर जांच की जाएगी। महापौर ने माना कि पहले सड़क बनाना, फिर उसे उखाड़ना, उसके बाद नाला शुरू करना और अब वापस डामरीकरण करना गलत तरीका है। उन्होंने कहा कि काम को हमेशा एक व्यवस्थित सिस्टम से किया जाना चाहिए और नाला पूरा होने के बाद ही सड़क बननी चाहिए।

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अधूरे नाले और नंगी तारों से बढ़ा खतरा

कचना के रहवासियों ने बताया कि अधूरे नाले के कारण रात में वहां गिरने का डर बना रहता है। नाले के ऊपर ढक्कन भी नहीं लगाया गया है। इसके अलावा, सड़क किनारे लगे ट्रांसफार्मर की नंगी तारें भी हादसे का बड़ा कारण बन सकती हैं। यह स्थिति बच्चों, बुजुर्गों और राहगीरों के लिए अत्यंत खतरनाक है।

आने वाले दिनों पर टिकी निगाहें—सुधरेगा सिस्टम या जारी रहेगी अव्यवस्था?

कचना के लोग अब इस बात को लेकर चिंतित हैं कि सड़क और नाले के कामों में सुधार कब होगा। सवाल यह भी है कि क्या पहले नाले का काम पूरा होगा या सड़क, और अगर सड़क पहले बना दी गई तो बाद में नाला बनाने के लिए क्या उसे फिर से तोड़ा जाएगा। करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद निर्माण कार्यों में समन्वय की कमी साफ दिखाई देती है। अब यह देखना होगा कि शासन और प्रशासन इस अव्यवस्था पर कब और क्या कार्रवाई करता है।

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