Axiom-4 Undock: अंतरिक्ष  से पृथ्वी पर हो रही ऐतिहासिक वापसी…देश को बेसब्री से इंतजार

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60 वैज्ञानिक प्रयोग करके अंतराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन  से पृथ्वी पर लौटने वाले शुभांश शुक्ला NASA और ISROके सहयोग से एक निजी कंपनी के द्वारा आयोजित इस अंतरिक्ष अध्ययन यात्रा  पर गए हुए थे। उनकी पृथ्वी पर वापसी की यात्रा पहले 28 हजार किलोमीटर प्रति घंटे फिर पृथ्वी के नजदीक आकर 22.5 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से वापसी करेगा। 26 जून से प्रारंभ हुई इस यात्रा में शुभांशु पहले भारतीय हैं जो ISS पर पायलट के रूप में गए।

यह मिशन प्राइवेट स्पेस ट्रैवल (private space travel) का उदाहरण है, जहां कंपनियां NASA के साथ मिलकर काम कर रही हैं।

शुभांशु ने किस आधार पर, क्या देखकर कहा “सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा”? (On What Basis Did Shubhanshu Say ‘Saare Jahan Se Achcha Hindustan Hamara’?)

शुभांशु ने यह बात ISS के कपोला (Cupola – एक खिड़की जैसी जगह) से भारत को देखते हुए कही। उन्होंने 13 जुलाई 2025 को फेयरवेल स्पीच (farewell speech) में कहा कि अंतरिक्ष से भारत महत्वाकांक्षी (ambitious), निडर (fearless), आत्मविश्वासी (confident) और गर्व से भरा (full of pride) दिखता है। उन्होंने 1984 में राकेश शर्मा (Rakesh Sharma) की मशहूर लाइन को दोहराया, जो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सवाल पर कही गई थी।

•  क्या देखकर कहा?: ISS से पृथ्वी पर भारत की झलक देखकर। उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी में बोला: “आज का भारत भी सारे जहां से अच्छा लगता है।” उन्होंने कहा कि हमारी यात्रा अभी लंबी है, और देशवासियों से फोकस्ड रहने की अपील की। यह भावुक पल था, जो भारत की प्रगति (progress) को दिखाता है।

आधार (Basis): यह राकेश शर्मा की परंपरा को आगे बढ़ाना था। शुभांशु ने तिरंगा (Tricolor) अपने कंधे पर रखा था, और “जय हिंद, जय भारत” से खत्म किया।

X पर कई पोस्ट्स में यह वीडियो शेयर हुआ, जैसे प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत में भी।

कैलिफ़ोर्निया में कब वापस पहुँचेंगे?

क्रू आज (14 जुलाई 2025) ISS से अलग (undock) हो रहा है। अनडॉकिंग समय: सुबह 4:30 AM ET (भारतीय समय शाम 2:00 PM IST के करीब)। उसके बाद स्प्लैशडाउन (splashdown – पानी में उतरना) 15 जुलाई 2025 को होगा। जगह: अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया तट (California coast) के पास प्रशांत महासागर (Pacific Ocean) में। समय: भारतीय समयानुसार दोपहर 3:30 PM IST के आसपास।

वापसी के बाद शुभांशु को 7 दिन की रिहैब (rehabilitation) होगी, जहां वे पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण (gravity) से दोबारा तालमेल बिठाएंगे।

टीम के बाक़ी लोग भी क्या कुछ अध्ययन करने, रिसर्च करने गए थे? (Did the Rest of the Team Go for Studies or Research?)

हां, पूरी टीम ISS पर रिसर्च (research) के लिए गई थी। हर दिन वे प्रयोग करते थे:

•  पेगी व्हिटसन: अनुभवी एस्ट्रोनॉट, मेडिकल और बायोलॉजी टेस्ट (medical and biology tests) पर फोकस।

•  स्लावोश उज्नांस्की: यूरोपीय स्पेस एजेंसी (European Space Agency) से, फिजिक्स और टेक्नोलॉजी डेमो (physics and technology demos)।

•  टिबोर कापू: हंगरी से, मटेरियल साइंस (material science) और ह्यूमन फिजियोलॉजी (human physiology) पर काम।

•  साझा रिसर्च: माइक्रोग्रैविटी (microgravity) में पौधों की ग्रोथ (plant growth), मानव स्वास्थ्य (human health), और नए टूल्स टेस्ट। शुभांशु ने भी भारत से जुड़े प्रयोग किए, जैसे गगनयान के लिए डाटा इकट्ठा करना।

मिशन के डेली अपडेट्स में घर-घर जैसे प्रयोग बताए गए हैं।

इस तरह की यात्रा से भविष्य में क्या होगा? (What Will Happen in the Future from Such Journeys?)

ऐसी यात्राएं भारत के स्पेस प्रोग्राम (space program) को नई ऊंचाई देंगी:

•  गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission): 2026 में भारत का पहला मानवयुक्त मिशन, जहां शुभांशु जैसे एस्ट्रोनॉट ट्रेनिंग देंगे।

•  अंतरराष्ट्रीय सहयोग (International Collaboration): NASA-ISRO पार्टनरशिप बढ़ेगी, जैसे Artemis प्रोग्राम में भारत शामिल हो सकता है।

•  वैज्ञानिक फायदे (Scientific Benefits): नई दवाएं, टेक्नोलॉजी और पर्यावरण स्टडीज (environmental studies) से मदद।

•  प्रेरणा (Inspiration): युवाओं को स्पेस साइंस (space science) की ओर आकर्षित करेगा। भारत चंद्रमा और मंगल (Moon and Mars) मिशनों की तैयारी करेगा।

•  इकोनॉमी (Economy): स्पेस इंडस्ट्री बढ़ेगी, नौकरियां आएंगी।

यह मिशन दिखाता है कि भारत अब स्पेस पावर (space power) बन रहा है। शुभांशु की वापसी से और ज्यादा उत्साह बढ़ेगा!

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