Art चितेरी लोककलाकृतियों से सजा बुंदेलखंड
Art झांसी . उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र की लोक कला को सहेजने और बढ़ावा देने के काम में लगे Art झांसी मंडलायुक्त डॉ़ अजयशंकर पांडेय की पहल पर अब इस क्षेत्र में मिलने वाले गमछों को चितेरी लोककलाकृतियों से सजाकर बुंदेलखंड की एक एक नयी पहचान के रूप में विकसित करने का प्रयास शुरू किया गया है।
Art डॉ़ पांडेय ने गुरूवार को बताया कि जिस तरह से देश के विभिन्न हिस्सों में स्वागत के लिए अलग अलग तरह की चीजों का इस्तेमाल होता है। बुंदेलखंड क्षेत्र में खेती का विशेष महत्व है और गमछा किसान से जुड़ा हुआ एक लोकप्रिय अंगवस्त्र हैं।
पूरे बुन्देलखंड में आप भ्रमण करिये तो आपको किसान के पास गमछा तो मिलेगा परन्तु उसकी अपनी कोई अलग पहचान नहीं है। मंडलायुक्त ने चितैरीकला की थीम पर बुन्देलखंड के लिये गमछों की डिजाइन तैयार कराने का निर्णय लिया है।
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बुन्देलखंड की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिये मंडलायुक्त द्वारा 08 समितियों गठित की गयी है जिसमें हस्तशिल्प एवं उद्योग धन्धों से सम्बन्धित विंग को यह दायित्व सौपा गया है।
इस समिति के समन्वयक आनन्द चौबे, मण्डलीय परियोजना प्रबन्धक, स्वास्थ्य मिशन, सिफ्सा, ने बताया कि मण्डलायुक्त के निर्देश पर चितैरी कला से जुड़े कलाकारों को कपड़ों के गमछों के लिये चितैरी कला की डिजाइन तैयार करने के लिये प्रेरित किया गया है।
विलुप्त हो रही चितैरी कला का सहेज कर रखने के लिये मंडलायुक्त के निर्देश पर कार्यशालायें आयोजित की जा रही है। जनपद में अब तक 06 कार्यशालायें तथा जनपद जालौन में 02 कार्यशालायें आयोजित की जा चुकी है।
मंडलायुक्त के निर्देश पर 10 जुलाई 2022 को ललितपुर में चितैरीकला की कार्यशाला आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। इस कार्यशाला में चितैरी के कलाकार आयेगें और उन्हें बुन्देलखंड के गमछों के लिये डिजाइन तैयार करने का कार्य दिया जायेगा।
डिजाइन किये गये गमछों को बनाने के लिये कम्पनियों का एक समागम कार्यक्रम भी आयोजित किया जायेगा ताकि चितैरी पदधारक गमछों का बाजार लगाया जा सके जिससे चितैरी कलाकारों का आर्थिक विकास होगा और चितैरी गमछा बुन्देलखंड का ब्राण्ड बन सकेगा।
डॉ़ मधु श्रीवास्तव, बुन्देली लोकविद् ने कहा कि डॉ़ पाण्डेय ने बुन्देलखंड की विलुप्तप्राय चितैरी गमछों के पुनरुद्धार एवं रोजगारपरक चित्रांकन कार्यक्रमों का आयोजन कर चित्रकारों का मनोबल बढ़ाया है जिससे बुन्देलखंड की युवा पीढ़ी को रोजगारोन्मुख तथा चितैरीकला को नये आयाम मिलेगे।
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