- 200 करोड़ के फर्जी रॉयल्टी प्रमाणपत्र किए गए थे जारी
- एसडीएम ने दर्ज कराई एफआईआर
बलरामपुर। जिला कलेक्ट्रेट की खनिज शाखा में लगी आग मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। जांच में पता चला है कि आग लगी नहीं थी, बल्कि लगाई गई थी। इसका कारण 200 करोड़ रुपए से अधिक के फर्जी रॉयल्टी भुगतान प्रमाणपत्र जारी किया जाना था। 24 जुलाई की रात आग लगी थी। इस आग में दफ्तर में रखे कंप्यूटर और फर्नीचर सहित 2018 से 2022 तक के सभी दस्तावेज जल गए थे। जांच के लिए एसडीएम अमित श्रीवास्तव, पीडब्ल्यूडी और विद्युत विभाग की संयुक्त टीम बनाई गई थी। एसडीएम अमित की रिपोर्ट पर एफआईआर दर्ज की गई है।
जिस रात आग लगी बंद थे सीसीटीवी कैमरे
जांच में सामने आया कि आगजनी की रात सीसीटीवी कैमरे बंद थे। खनिज शाखा के जिन दो कमरों में आग लगी, उनमें एक कक्ष का उपयोग भंडार कक्ष और रिकार्ड रूम के रूप में किया जा रहा था। दूसरे कक्ष में खनिज निरीक्षक का कार्यालय था। आग लगने से सरगुजा जिले से स्थनांतरित खनिज विभाग की पुरानी नस्तियां, जिनमें अवैध पत्थर खदान, पीट पास, रॉयल्टी सत्यापन प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज भी शामिल थे, वो सब जल गए। स्नस्रु को विभाग के पीछे की ओर की खिडक़ी नीचे टूटी मिली।
पहले शॉर्ट सर्किट बताया गया
24 और 25 जुलाई की रात करीब 12 से 01 बजे के बीच खनिज कार्यालय में आग लगाई गई थी। सुबह धुआं निकलता देख आसपास के लोगों ने फायर ब्रिगेड और कर्मचारियों को सूचना दी। भृत्य ने जांच टीम को बताया कि जब रात को कार्यालय बंद किया था तो खिडक़ी सही थी। घटना के बाद एसडीएम अमित श्रीवास्तव ने बताया था कि आग लगने की सूचना सुबह कर्मचारियों के द्वारा दी गई थी। आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट हो सकता है। हालांकि तकनीकी जांच से स्पष्ट हो गया है कि खनिज विभाग में आग लगने की घटना का कारण शार्ट सर्किट नहीं है।
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4 साल के रॉयल्टी भुगतान प्रमाण पत्र जले
जांच टीम ने खनिज शाखा में पदस्थ अधिकारी कुमार मंडावी, लिपिक नामदेव बारले और फुलेश्वरी प्रजापति समेत भृत्यों का भी बयान दर्ज किया था। साथ ही लिपिक फुलेश्वरी से घटना से पहले उसके पास रखी अलमारी की चाबी मांगी, लेकिन वह नहीं दे सकी। फुलेश्वरी प्रजापति ने जांच टीम को बताया कि, 2018 से 2022 तक खनिज शाखा के महत्वपूर्ण मामले के दस्तावेज जल गए। जिला सरगुजा के दरिमा हवाई पट्टी के उन्नयन कार्य के लिए संबंधित ठेकेदार को फर्जी रॉयल्टी चुकता प्रमाण पत्र के मेमो पर इनिशियल फुलेश्वरी प्रजापति ने की थी। जांच में यह भी पता चला कि, बलरामपुर के साथ सरगुजा, सूरजपुर और जशपुर जिलों के फर्जी रॉयल्टी चुकता प्रमाण पत्र जारी किए गए थे। इसकी शिकायत निर्माण विभागों ने बलरामपुर कलेक्टर से की थी। खनिज शाखा के पूर्व प्रभारी अधिकारी के तौर पर तत्कालीन एडीएम एसएस पैकरा के उस मेमो पर हस्ताक्षर हैं।
सिंडिकेट ने कराई आगजनी
जांच टीम ने अभिमत में कहा है कि, सरगुजा संभाग के जिलों में खनिज विभाग से कोई सिंडिकेट जुड़ा है। शिकायतों के बाद ही आगजनी की घटना हुई है। इसमें संबंधितों का कॉल डिलीट और रॉयल्टी चुकता प्रमाण पत्रों की जांच कराने की आवश्यकता है। बलरामपुर कलेक्टर आर.एक्का ने कहा कि, एसडीएम को जांच करने के बाद एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए गए थे। जांच के बाद एफआईआर दर्ज कराई गई है। मामले में बलरामपुर पुलिस ने धारा 326(छ) बीएनएस का अपराध दर्ज किया है।
इस तरह हुई गड़बड़ी
निर्माण कार्यों में प्रयुक्त गिट्टी, रेत, मुरुम का रायल्टी ठेकेदारों को देना होता है। रायल्टी में गिट्टी का 447 रुपए प्रति क्यूबिक मीटर और बालू का 178 रुपए क्यूबिक मीटर की रेट तय है। सरगुजा, सूरजपुर और जशपुर के ठेकेदारों ने अपने जिलों के बजाए बलरामपुर से रॉयल्टी क्लीयरेंस चुकता प्रमाणपत्र लिया। इसके अलावा बलरामपुर जिले में फर्जी पीट पास भी बड़े पैमाने पर जारी किए गए। जिसके सभी रिकॉर्ड जल गए हैं। मामले में सरगुजा कमिश्नर ने भी जांच के आदेश दिए हैं।