Armenia Cave जुल्म के खिलाफ आवाज उठाने पर महिला को रिश्तेदारों घोषित कर दिया पागल
-मर्दों के अपेक्षा औरतों की इज्ज़त दांव पर लगता है ज्यादा
-एक ही गलती पुरूष का कुछ नहीं बिगाड़ता पर औरत का समूचा जीवन दांव पर लग जाता
– रंग मंदिर में नाटक आर्मीनिया की गुफा का मंचन
-“रूपक’’ संस्था रायपुर की प्रस्तुति
Armenia Cave रायपुर। भातखंडे ललितकला शिक्षा समिति रायपुर की ओर से नाटक आर्मीनिया की गुफा के मंचन रविवार को रंग मंदिर में किया गया। जया जादवानी के द्वारा लिखित नाटक का निर्देशक डॉ कुंज बिहारी शर्मा ने किया। इस नाटक में एक औरत की कहानी को दर्शाया गया है इसमें दिखाया गया है कि हम और हमारा समाज चाहे जितनी भी तरक्की कर लिया हो चाहे तरक्की की चाहे जितनी भी मंजिले तय की हों पर औरत के मामले में हमारा समाज आज भी पुराने ढर्रे पर चलता आ रहा है, एक ही गलती पुरूष का कुछ नहीं बिगाड़ती पर औरत का समूचा जीवन दांव पर लग जाता है। औरत कहीं भी महफूज नही है।
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Armenia Cave यह नाटक समर्पित है, बेबस बना दी गयी उन औरतों को, जो न जाने कब-कहां ऐसे हादसों की शिकार होती रहती है। जिनकी चीखें सदियों के अंधेरों से टकराती हुई हमारे पास आती है । वे टूट जाती हैं पर किसी से कुछ नहीं कहती और कैसी विडम्बना है कि हम सारा दोष उसी पर मढ़ देते हैं।
Armenia Cave नाटक के जरिये उन पीड़ित औरतों की आवाज में अपनी आवाज मिलाते है, जो इस हैवानियत का शिकार होती है और इसका पुरजोर विरोध करते है।
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सूत्रधार – कु. कीर्ति यादव
डॉक्टर – लोकेश्वर साहू
स्त्री – कु. संगीता निषाद
नर्स – रत्ना शर्मा
मंच व्यवस्थापक – रंजन मोडक, राकेश साना, नीतिश यादव,
वेशभूषा – ममता शर्मा
रूपसज्जा – दिनेश धनगर
प्रकाश व्यवस्था – संतु और साथी
ध्वनि व्यवस्था – टीकम साउंड सर्विस
पार्श्व स्वर – डॉ. कुंज बिहारी शर्मा
संगीत – विवेक टांक, सूरज महानंद