Arab Diary- 7 -पाकिस्तानी फिल्म इन फ्लेम्स को मिला बेस्ट फिल्म का गोल्डन यूसर अवार्ड

Arab Diary- 7 -पाकिस्तानी फिल्म इन फ्लेम्स को मिला बेस्ट फिल्म का गोल्डन यूसर अवार्ड

0 पाकिस्तान का नया सिनेमा

अजित राय, जेद्दा (सऊदी अरब)

 

सऊदी अरब के जेद्दा में आयोजित तीसरे रेड सी अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में दुनिया भर के देशों की फिल्मों को पछाड़ते हुए पाकिस्तान के जरार कहन की फिल्म इने फ्लेम्स ने जीता बेस्ट फिल्म का अवार्ड। गोल्डन यूसर फार बेस्ट फीचर फिल्म का यह अवॉर्ड फेस्टिवल का सबसे बड़ा अवार्ड है जिसमें एक लाख अमेरिकी डालर का कैश प्राइज भी शामिल हैं। पाकिस्तान की ही ईरम परवीन बिलाल की फिल्म वखरी को भी काफी लोकप्रियता मिली जो एक सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर कंदील बलोच की आनर किलिंग की घटना से प्रेरित है। कंदील बलोच (1 मार्च 1990-15 जुलाई 2016) पाकिस्तान की पहली सोशल मीडिया सेलेब्रिटी थी जिसका असली नाम फौजिया अजीम था। 15 जुलाई 2016 की रात जब वह मुल्तान में अपने पिता के घर सोई हुई थी तो रात के साढ़े ग्यारह बजे उसके दो भाइयों असलम और वसीम ने गला दबाकर उसकी हत्या कर दी थी। उन्होंने बाद में स्वीकार किया कि उन्होंने खानदान की इज्जत बचाने के लिए अपनी बहन को मार डाला। रेड सी अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल जेद्दा में इन दोनों पाकिस्तानी फिल्मों की खूब चर्चा रहीं । ये दोनों फिल्में पितृसत्तात्मक पाकिस्तानी समाज में औरतों की आजादी का मसला उजागर करती है।जरार कहन की फिल्म इन फ्लेम्स तो इस बार आस्कर अवार्ड में पाकिस्तान से बेस्ट इंटरनेशनल फिल्म की कैटेगरी में आधिकारिक प्रविष्ट हैं। इसी साल 76वें कान फिल्म समारोह के डायरेक्टर फोर्टनाईट में इसका वल्र्ड प्रीमियर हुआ था। बाद में टोरंटो अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में इस फिल्म को बड़ी शोहरत मिली।

जरार कहन की फिल्म इन फ्लेम्स करांची की साधारण बस्ती के छोटे से फ्लैट में रहने वाली मरियम की कहानी है जिसे बुरे बुरे सपने आते है हालांकि वह मेडिकल की पढ़ाई कर रही है। वह अपनी विधवा मां फरहा और छोटे भाई के साथ जिस मामूली फ्लैट में रहती हैं वह उसके नाना के नाम है। नाना के मरने के बाद उसका मामा उस फ्लैट पर कब्जा करने की साजि़श रचता है। पाकिस्तान और कई दूसरे मुस्लिम देशों में पैतृक सम्पत्ति में औरतों के हक दिलाने वाले कानून बहुत नाकफी है। केस दर्ज भी हो जाए तो कोर्ट में मामला सालों खींचता है। मरियम का एक सहपाठी उसके इश्क में पड़ जाता है। एक दिन दोनों सबसे छुपकर समुद्र किनारे एक दोस्त की कुटिया में कुछ समय बीताने जाते हैं। वापसी में लौटते हुए बाइक का एक्सीडेंट हो जाता है और उसका ब्वायफ्ऱेंड मारा जाता है। मरियम बच जाती है और किसी तरह एक आटोरिक्शा वाले की मदद से घर पहुंचती है। इस सदमे के कारण उसे बुरे बुरे सपने आते हैं। दूसरी तरफ उसकी मां फरहा किसी तरह फ्लैट बचाने की लड़ाई लड़ रही है। एक दिन वह आटोवाला मरियम के कहने पर उसे समुद्र किनारे उसी कुटिया में ले जाता है जहां उसके स्वर्गीय प्रेमी की यादें बसी है। आटोवाले की नीयत खराब हो जाती है और वह मरियम को अबला समझ उसके बलात्कार की कोशिश करता है। तभी वहां उसे ढूंढती हुई उसकी मां फरहा पहुंच जाती है। मरियम को बचाने के दौरान आटोवाले की हत्या हो जाती है। मरियम के सामने उस कुटिया में आग लगाने के सिवा कोई चारा नहीं है।

Arab Diary- 7 -पाकिस्तानी फिल्म इन फ्लेम्स को मिला बेस्ट फिल्म का गोल्डन यूसर अवार्ड
Arab Diary- 7 -पाकिस्तानी फिल्म इन फ्लेम्स को मिला बेस्ट फिल्म का गोल्डन यूसर अवार्ड


ईरम परवीन बिलाल की फिल्म वखरी में एक स्कूल टीचर लड़कियों का स्कूल खोलने के लिए छद्म नाम से अपना रूप बदल कर सोशल मीडिया पर एक अपील जारी करती है और उसका वीडियो वायरल हो जाता है। उसे भारी मात्रा में चंदा मिलना शुरू हो जाता है। वखरी अपने दोस्त गूची के अंडरग्राउंड डिस्को बार में उत्तेजक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड करने लगती है। उसकी शोहरत से पाकिस्तान में बहस छिड़ जाती है और उसके समर्थन और विरोध में प्रदर्शन होने लगते हैं। वखरी का एक बच्चा है जिसकी परवरिश का हक पाने के लिए वह ससुराल वालों से संघर्ष कर रही है । उसके पति की आठ साल पहले मृत्यु हो चुकी है। एक टेलीविजन रियलिटी शो से लौटते हुए रास्ते में उसे गोली लगती है। फिल्म हालांकि सुखांत है और वखरी बच जाती है। अंतिम दृश्य में हम उसे अपने पति की कब्र पर एकालाप करते हुए देखते हैं।

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