न्यायालय ने किया प्रकरण समाप्त
कोरिया- थाना सोनहत, जिला कोरिया (छत्तीसगढ़) में दर्ज अपराध क्रमांक 78/2018, धारा 354, 354 (क), 506, 451 भा.द.वि. के तहत एक दुर्लभ एवं उल्लेखनीय प्रकरण सामने आया है। घटना दिनांक 20 मई 2018 को हुई, जब प्रार्थिया श्रीमती पूजा साहू ने आरोपी राम प्रकाश उर्फ सोनू साहू पर घर में घुसकर अनुचित हरकत करने और धमकी देने का आरोप लगाया था। प्रार्थिया ने दिनांक 09 जून 2018 को थाना उपस्थित होकर शिकायत दर्ज कराई, जिसके आधार पर आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर भेजा गया था। मामले की विवेचना पूर्ण कर अभियोग पत्र तैयार किया गया और 20 जुलाई 2018 को इसे न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। प्रकरण की सुनवाई माननीय न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी श्री असलम खान के समक्ष हुई।
प्रकरण के दौरान, प्रार्थिया श्रीमती पूजा साहू ने अपने बयान से मुकरते हुए न्यायालय में झूठा बयान देने की स्वीकारोक्ति की, जिसके पश्चात दुर्लभ कार्यवाही करते हुए अभियोजन द्वारा प्रार्थी के विरुद्ध 344CRPC के अधीन एक एप्लीकेशन मूव की गई, जिसे माननीय न्यायालय ने गंभीरता से लेते हुए प्रार्थिया को झूठा बयान देने का दोषी ठहराया और 500/- रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। प्रार्थिया ने यह दंड राशि 19 नवंबर 2024 को जमा कर दिया है, जिसके पश्चात माननीय न्यायालय ने प्रकरण को समाप्त घोषित किया है। संभावना है कि यह अर्थदण्ड पहली नजर में एक सामान्य कार्यवाही लग सकती है किन्तु यह इस ओर इशारा करती है कि आगे न्यायपालिका झूठे बयानों और झूठी शिकायतों पर और भी गंभीर कदम उठा सकती हैI यह वास्तव मे एक उल्लेखनीय और दुर्लभ पहल है जो आगे झूठी गवाही और झूठी शिकायतों पर अंकुश लगाने में कारगर साबित हो सकती हैI
दरअसल बारम्बार इस तरह के प्रकरण संज्ञान में आ रहे हैं जिसमें प्रार्थी/प्रार्थिया ट्रायल के दौरान न्यायालय में पूर्व में दिए अपने बयान से पलट जाते हैं I ऐसे मामलों में कार्यवाहियों के लिए पुलिस महानिरीक्षक महोदय, सरगुजा रेंज श्री अंकित गर्ग, IPS द्वारा रेंज स्तरीय दोषमुक्ति प्रकरणों की समीक्षा में सभी जिलों को निर्देश दिए गए थे I इसी क्रम में, पुलिस अधीक्षक, कोरिया श्री सूरज सिंह परिहार, IPS द्वारा मॉनिटरिंग सेल की पिछली बैठकों में प्रमुखता से इस विषय को उठाते हुए जिला न्यायाधीश महोदय से अनुरोध किया गया था I इसके साथ ही SP कोरिया द्वारा उपसंचालक अभियोजन एवं लोक अभियोजन अधिकारियों को बारंबार इस विषय पर 344 CRPC के प्रावधानों का सदुपयोग करते हुए आवश्यक कार्यवाही करने हेतु दिशा-निर्देश प्रदान किए गए थे। इन सभी प्रयासों के मिले जुले परिणाम के फलस्वरुप यह कार्यवाही सम्भव हो पाई है I
यह निर्णय इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इस प्रकार की घटनाओं के कारण पुलिस, अभियोजन और न्यायपालिका का बहुमूल्य समय और संसाधन व्यर्थ होता है, जिससे न्याय प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ता है। झूठे प्रकरणों से तथाकथित दोषी का संपूर्ण जीवन और करियर प्रभावित होता है साथ ही स्वस्थ समाज निर्माण में भी यह बहुत बड़ी बाधा के रूप मे दिखाई देता है। इस कदम से न केवल दोषमुक्ति प्रकरणों में पारदर्शिता आएगी, बल्कि न्याय प्रक्रिया की प्रभावशीलता भी बढ़ेगी। साथ ही, इससे संबंधित पक्षों को न्यायिक प्रणाली में भरोसा और भी मजबूत होगा। इस अभिनव प्रयास से बड़ी संख्या में लोग लाभान्वित भी होंगे, और झूठे बयानों की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जा सकेगी।