Agricultural- कृषि मजदूरी तीन सौ से चार सौ रुपए प्रतिदिन

इजाफा कल्टीवेशन चार्ज में भी

राजकुमार मल
भाटापारा। फिलहाल 1000 रुपए घंटा। जा सकता है 1300 रुपए प्रति घंटा तक। 300 से 400 रुपए प्रतिदिन तय कर दिए हैं खेतीहर श्रमिकों ने अपनी मजदूरी दर। खरीफ की तैयारियों में लगे किसानों को इस बार कुछ ज्यादा पैसे देने होंगे।
मटासी मिट्टी वाले खेतों की तुलना में इस बरस कन्हार मिट्टी वाले खेत कुछ ज्यादा ही परेशान करेंगे क्योंकि ठोस हो चुकी है मिट्टी। इसलिए कल्टीवेशन में दोगुना समय लगने की आशंका है। कल्टीवेशन के दौरान यदि बारिश हुई तो तय है प्रति घंटा कल्टीवेशन के लिए निर्धारित दर से अधिक भुगतान का किया जाना।
तैयार हो रहे ट्रैक्टर मालिक
प्री मानसून की बारिश को देखते हुए ट्रैक्टर मालिक अकरस जुताई के लिए तैयार होने लगे हैं। छिटपुट डिमांड के बीच प्रति घंटा कल्टीवेशन चार्ज 1000 रुपए लिए जा रहे हैं लेकिन यह 1200 से 1300 रुपए तक जाने की आशंका बन चुकी है। रोटावेटर की सुविधा चाहने वाले किसानों को 100 से 200 रुपए अतिरिक्त देने होंगे। कुल मिलाकर यह खरीफ सत्र के शुरुआती दौर से ही तेजी की खबर लेकर आ पहुंचा है।

हल, बैल भी पीछे नहीं
चलन बरकरार है हल और बैल का। शुरुआती दौर में प्रतिदिन किराया भले ही 600 रुपए बोली जा रही है लेकिन इसमें प्रतिदिन 200 रुपए की बढ़ोत्तरी की धारणा बन चुकी है। यह इसलिए क्योंकि हल के लिए जरूरी लकड़ी महंगी हो चुकी है, तो बैलों की खरीदी पर भी बीते साल की तुलना में लगभग 15 से 20 फीसदी रकम अधिक देनी पड़ी। रही-सही कसर ठोस मिट्टी और खेतों में आ चुकी दरारें पूरी कर रहीं हैं।
महंगा श्रम
ग्रामीण क्षेत्रों में आवास योजना के तहत् हो रहे काम ने मजदूरों की उपलब्धता पर बड़ा असर डाला हुआ है। जो खाली हैं और जिनके काम पूर्णता की ओर हैं, उन्होंने प्रतिदिन मजदूरी बढ़ा दी है। फिलहाल 300 से 400 रुपए प्रतिदिन की दर वैसे भी ज्यादा मानी जा रही है लेकिन यह स्थिर दर और बढऩे की धारणा है क्योंकि बारिश का दौर चालू होते ही जरुरत बढ़ेगीं मजदूरों की। इसलिए यह दर भी स्वीकार की जा रही है।