लखनऊ: दलित बुजुर्ग के साथ मंदिर में अमानवीय व्यवहार, पेशाब चटवाने और गालियों का आरोप, आरोपी हिरासत में

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से मानवता को झकझोर देने वाली एक शर्मनाक घटना सामने आई है। जिले के काकोरी थाना क्षेत्र स्थित शीतला माता मंदिर में एक दलित बुजुर्ग के साथ कथित रूप से न केवल जातिसूचक गालियां दी गईं, बल्कि उसे जबरन पेशाब चटवाने जैसी अमानवीय सजा भी दी गई। पुलिस ने शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर आरोपी को हिरासत में ले लिया है और जांच जारी है।

क्या है मामला?

घटना काकोरी के शीतला माता मंदिर परिसर की है, जहां 60 वर्षीय दलित बुजुर्ग रामपाल, जो लंबे समय से सांस की बीमारी से पीड़ित हैं, मंदिर में कुछ देर के लिए विश्राम कर रहे थे। तभी उनकी तबीयत बिगड़ गई और बीमारी के चलते उनसे अनजाने में मंदिर परिसर में पेशाब हो गई

इस पर कथित रूप से स्वामीकांत उर्फ पम्मू नामक व्यक्ति, जो स्थानीय रूप से प्रभावशाली बताया जा रहा है, ने रामपाल के साथ गाली-गलौज, मारपीट और जातिसूचक शब्दों का प्रयोग किया। आरोप यह भी है कि उसने मंदिर “अपवित्र” होने का हवाला देते हुए रामपाल से पेशाब चटवाई और फिर पूरे मंदिर परिसर को “शुद्धिकरण” के नाम पर पानी से धुलवाया।


बुजुर्ग ने थाने में दी शिकायत, मांगा न्याय

पीड़ित रामपाल ने घटना के बाद काकोरी थाने में पहुंचकर लिखित शिकायत दर्ज कराई। उनका कहना है कि वे न तो जानबूझकर कुछ करना चाहते थे, न ही उनकी मंशा मंदिर को अपवित्र करने की थी। वह बीमारी के कारण असहाय हो गए थे, लेकिन उनके साथ जो हुआ वह क्रूरता और अमानवीयता की हद है।


आरोपी हिरासत में, जांच जारी

पुलिस ने प्रारंभिक कार्रवाई करते हुए आरोपी स्वामीकांत को हिरासत में ले लिया है और उससे पूछताछ की जा रही है। लखनऊ पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मामले को गंभीरता से लिया गया है और SC/ST एक्ट सहित अन्य धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।

पुलिस का बयान: “हम मामले की निष्पक्ष जांच कर रहे हैं। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”


राजनीतिक प्रतिक्रिया भी तेज

घटना सामने आने के बाद राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर सरकार को घेरते हुए लिखा:

“उत्तर प्रदेश में दलितों की गरिमा और अधिकारों को बार-बार कुचला जा रहा है। मंदिरों को नफरत की प्रयोगशाला बनाना बंद करो।”

वहीं, कांग्रेस पार्टी ने भी बयान जारी कर इस घटना को “दलितों पर बढ़ते अत्याचार का प्रतीक” बताया और राज्य सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग की।

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