AAJ KI JANDHARA : भारत के 145 करोड़ जनता हैं सनातनी : ऋतेश्वर महाराज

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AAJ KI JANDHARA :  भारत के 145 करोड़ जनता हैं सनातनी :ऋतेश्वर महाराज

 

 

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AAJ KI JANDHARA : भारत के 145 करोड़ जनता हैं सनातनी :ऋतेश्वर महाराज

AAJ KI JANDHARA :  अपने आध्यात्मिक ज्ञान और प्रेमी स्वभाव से समाज को एक नई दिशा प्रदान करने वाले ऋतेश्वर महाराज से आज की जनधारा के सीईओ सौरभ मिश्रा ने खास बातचीत की इस दौरान देश के मौजूदा हाल, समाज में आ रहे बदलाव और शिक्षा व्यवस्था जैसे मुद्दों पर बातें हुई इस बातचीत का मुख्य अंश-

 

AAJ KI JANDHARA : प्रश्न-1 आजकल धार्मिक मंचों का इस्तेमाल राजनीतिक लाभ के लिए जमकर लिया जा रहा है.. इसे आप किस तरह देखते हैं ।

 

 

AAJ KI JANDHARA :  राजनीति धर्म की पुत्री है राजनीति का अर्थ होता है देश के जितने भी प्रजा हैं उनके हित में किए जाने वाले कर्मों के लिए नीति बनाई जाती है उसको ही राजनीति कहते हैं। और राजनीति श्राद धर्म से ही चलनी चाहिए अधर्म से नहीं  चलनी चाहिए। अधर्म से जो चलता है उसे राक्षसी वृत्ति कहते हैं धर्म और राजनीति का मेल सदा से रहा है अभी भी है और आगे भी रहेगा तभी तक यह मानवता, राष्ट्र और यह दुनिया टिक पाएगी। जिस दिन अधर्म की राजनीति हो जाएगी चारों तरफ असुरत्व का बोलबाला हो जाएगा और आतंकवाद, हत्या और अत्याचार बढ़ जाएगा

AAJ KI JANDHARA : प्रश्न-2 हाल में महिला आरक्षण बिल पास किया गया, इस बिल के माध्यम से समाज में किस तरह के बदलाव की उम्मीद आपको है।

 

– भारत में नारियों को देवी स्वरूप माना गया है और वह पूजनीय है तो यहां बहुत पहले होना चाहिए था वो अब हुआ है लेकिन अब बहुत अच्छी बात है कि सरकार ने इसकी सुध ली है और नारियों को एक आरक्षण दिया है राजनीतिक में और सामाजिक क्षेत्र में वह अब आगे आएंगी और समाज को लीड कर पाएंगी। मुझे पक्का विश्वास है कि यह देश मदालसा जैसी माताओं का है जहां सीता के गुरु अनुसुइया जैसे माताएं रही हैं और राक्षसों के कुल में जन्मी के कयाधु प्रहलाद को जन्म दिया है ऐसी माताओं को आगे आने से भारत में न सिर्फ नारियों के भीतर बल्कि पुरुष बच्चे पूरे भारत के अंदर एक नई क्रांति होने की संभावना है और लोग इसका अहलद और आंनद उठा पाएंगे। माता से संचालित यह समाज आगे बढ़ेगा और आनंदित होता।

AAJ KI JANDHARA : प्रश्न-3 देश के कई धार्मिक स्थलों को विकसित किया जा रहा है जैसे बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर बनारस में, उज्जैन महाकाल कॉरिडोर इसे आप किस तरह देखते हैं।

 

 

-भारत सनातन संस्कृति का देश रहा है जब भी आप राम, रामकृष्ण और शिव को याद करते हैं तो अयोध्या मधुरा और काशी याद आ जाती है ठीक वैसे ही जैसे पॉप को याद करते हैं तो वेटिकन सिटी याद आ जाती है ठीक वैसे जैसे मक्का मदीना याद आ जाती है। तो यह तो पूरी दुनिया जानती हैं की अयोध्या राम से, मथुरा कृष्ण से और भोलेनाथ से हमारा काशी प्रसिद्ध है तो कॉरिडोर बन रहा है और इसके साथ-साथ जो गुलामी के चिन्ह हैं उन चिन्हों को भी धीरे धीरे हटाए जा रहे हैं और किसी भी स्वास्थ्य सबल राष्ट्र के लिए गुलामी का कोई चिन्ह होना अच्छा नहीं होता है इसका प्रत्यक्ष उदाहरण चीन है जब वह जापान के अंदर में था परंतु एक वर्ष के अंदर में जब वह आजाद हुआ उसने जापानी एक-एक नाम मिटा दिया जापानियों का एक नाम भी नहीं रहा। जब हम आजाद हो गए स्वतंत्र हो गए तो आपको अपने वीरों के नाम रखा जाए। हमारे भारत देश में वीरों की कमी नहीं है वीर हमीद भी हमारे वीर हैं हम हिंदू मुसलमान सिख इसाई की बात नहीं करते हैं भारतीय वीर और क्षेत्रीय वीर हैं छत्तीसगढ़ के जो क्षेत्रीय वीर हैं इनके नामों पर यहां के सड़कों का नाम हो उनके नाम पर उनके यहां के मॉल्स बने यहां के बिल्डिंग बने और हमारे जो मंदिर इत्यादि बाबर और औरंगजेब के द्वारा ढा दिए गए थे उनका पुनर्निर्माण जरूरी है हमारे आत्म स्वाभिमान के लिए।

 

प्रश्न-4 आप आदिवासी बाहुल्य दुर्गम इलाकों में काफी काम करते हैं लगातार उन क्षेत्रों का दौरा करते हैं, आपको क्या लगता है कि विकास की रफ्तार में ये क्षेत्र भी बाकि क्षेत्रों के साथ कदमताल मिला सकें इसके लिए क्या करना होगा।

 

-मुझे ऐसा लगता है कि भारत राम और कृष्णा को अपना आदर्श पुरुष मानता है भगवान मानता है और भगवान राम और भगवान कृष्ण आदिवासी, मूलवासी और वनवासियों के लिए काम किए। तो भारत का कोई भी संतति या संतान उन आदिवासियों के लिए बनवासियों के लिए काम करके अपने आप को धन्य समझेगा और भगवान राम के पथ पर चलेगा।  जैसा विकास शहरों में होता है वैसा ही विकास गांव में होना चाहिए क्योंकि मनुष्यता में भेद नहीं होती शहर में भी मनुष्य रहते हैं और गांव में भी मनुष्य रहते हैं कोरोना आया तो पहली बार पता चला शहरों में रहने वाले वो 35 मंजिलों पर जो रहते थे उनको भी स्वच्छ सांस लेने के लिए पार्कों की जरूरत पड़ गई। और उन्हें भी गांव के माहौल की जरूरत पड़ गया तो भारत कृषि प्रधान और गांव का देश रहा है इसलिए गावों में पहाड़ों में जल के नजदीक रहने वाले मूल निवासी, आदिवासी और बनवासियों के बीच में सतत काम करता रहा हूं। नशा मुक्ति कैसे हो उन्हें अन्न की प्राप्ति कैसे, उनको शिक्षा की प्राप्ति कैसे हो इसपर काम करते हैं।या तीन चीजें अगर भारत वर्ष में लागू हो जाए निशुल्क और उत्तम शिक्षा, निशुल्क और उत्तम चिकित्सा निशुल्क और अविलम न्याय तो भारत वर्ष में राम राज्य आ जाएगा। गांव के लिए भी शहर के लिए भी और मूल वासियों के लिए भी और आदिवासियों के लिए भी और बनवासियों के लिए भी और जो देसी मुर्गी और बोल विलायती बोल जो बोलते हैं उनके लिए भी।

प्रश्न-5 समाज में नशा एक बड़ी समस्या के रूप में देखा जा रहा है, नशामुक्ति के लिए आप कई बार अपील करते रहे हैं, इस समस्या से निपटने के लिए क्या करना चाहिए।

 

– उन्होंने कहा की  इसके लिए समाज के लोगों को ही जागृत होना होगा। सरकार के ऊपर हर कुछ छोड़ना उचित नहीं है। सरकार को जनता बनाती  है और जनता को यह मांग करना चाहिए कि शराब बेचकर उसके टैक्स से चलने वाले चलने वाली सरकारें कभी असली सरकारें  नहीं हो सकती है। जिन सरकारों को शराब बेचकर अपनी सरकार चलानी पड़ती है टैक्स के और भी कई संसाधन है अच्छे शिक्षा हो अच्छे हमारे यहां प्रकृति के सुंद वातावरण बनाया जाए, पेड़ पौधे लगाए जाए बहुत सारे तरीके हैं जिससे आप आनंद टैक्स लेकर और अनंत जनता के ऊपर और अनंत भगवान की कृपा की वर्षित कर सकते हैं परंतु मुझे लगता है कि शराब पिलाकर उनसे घरों को बिगाड़ कर लोगों के लीवर और किडनी खराब कर और फिर इलाज के लिए कुछ पैसे देकर यह कैसे नीति है इस पर सिर्फ सरकार को ही नहीं जनता को भी विचार करना चाहिए। शराब मुक्त नशा मुक्ति जब समाज होगा और छत्तीसगढ़ को आगे आना चाहिए छत्तीसगढ़ में भारत के दो प्रतिशत आबादी रहती है छोटा सा राज्य है अगर छत्तीसगढ़ इस काम को कर पता है तो पूरे देश के लिए छत्तीसगढ़ प्रकाश दिखाने का काम करेगा।

 

प्रश्न-6 छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण का मुद्दा अक्सर उठते रहता है, आप इसे किस तरह देखते हैं

 

-देखिए धर्म तो एक ही है। सदा से, धर्म की जय हो ओर अधर्म की नाश हो। धर्म अलग-अलग होता नहीं मत अलग-अलग होते हैं पथ अलग-अलग होते हैं तो मतांतरण हो रहा है। मतांतरण से मणिपुर में जैसा है हिंसा हुआ या फिर अन्य जगहों पर होता है उसकी संभावना बढ़ती है। अगर यह सभ्य समाज हम और आप आने वाले हमारी पीडिया के लिए अगर हिंसा नहीं देखना चाहते हैं तो हम सबकी सेवा करें, सबके लिए रोटी कपड़ा और मकान की व्यवस्था करें, परंतु मतांतरण के मूल्य पर अगर रोटी कपड़ा और मकान दिया जाए तो मनुष्य के मत के साथ यह खेल है। मुझे ऐसा लगता है कि मनुष्य की मनुष्यता ही सबसे बड़ी चीज है। वो मनुष्य हैं इसके लिए हम उनके लिए व्यवस्था करें। वो हमारे मत में आए इसके बाद हम व्यवस्था करें तो कहीं ना कहीं लगता है की लोभ मुक्त समाज की व्यवस्था नहीं कर रहे हैं लोभ और भाई युक्त समाज का निर्माण हो रहा है। जो बाद में हिंसा का कारण बनेगा।  मैं मत्तांतरण के सख्त खिलाफ हूं विरुद्ध हूं और प्रत्येक जनता को भी होना चाहिए। इस पर प्रत्येक जनता को विरोध होना चाहिए इस पर डिबेट होना चाहिए इस पर चिंतन होना चाहिए।

 

प्रश्न-7 भारत में रहने वाले सभी लोगों के एक ही डीएनए की बात आपने कही है. इसे थोड़ा विस्तार से समझना चाहेंगे.

– भारत में 145 करोड़ सनातनी लोग रहते हैं आप 10 पुस्त ऊपर चले जाएं पूर्वजों के तो सारे जितने भी लोग रहते थे वो लोग भी बोलते हैं कि हमारे पूर्वज वही थे परदादा वही थे। यह तो सभी स्वीकार करते हैं और जो सत्य है उसको स्वीकार करने में ना बहुत ज्यादा गौरव का बोध होना चाहिए और ना हीन या गलानी का बोध होना चाहिए। सत्य यही है कि यह सनातन संस्कृति का देश रहा है हम सभी एक ही थे बाद में पूजा की पद्धति थोड़ी बदल गई परंतु डीएनए हमारे एक हैं हम सब एक हैं इसीलिए मैं जब भी बात करता हूं तो 145 करोड़ सनातनियों की बात करता हूं भारत में रहने वाला हर व्यक्ति सनातनी है मत अलग-अलग हो सकते हैं कोई अलग तरीके से पूजा कर सकता है किसी के उपासना पद्धति अलग हो सकती है परंतु मानव मानवता के नाम पर हम सभी एक ही हैं और भी ईश्वर एक ही हैं अलग-अलग होता नहीं है इसलिए ये बातें केवल लड़ने लड़ने की है नहीं तो मनुष्य मात्र अपनी जीवन में 70 – 80 साल के जीवन में आनंद, सुख शांति से रहने आया है और इस दृष्टि से 145 करोड़ भारतवासी पहले जैसे विश्व गुरु थे और सोने की चिड़िया यह भारत थी अगर पुनः हम इस संस्कृति को याद कर ले तो हम वैसे ही शांति और आनंदित  देश बन सकते हैं।

 

प्रश्न-8 आज की शिक्षा पद्धति को लेकर आप क्या कहेंगे… इसमें किस तरह के बदलाव की जरूरत है

 

देखिए शिक्षा बच्चों को ही दी जाती है बचपन से जैसे आचरण हम करते हैं बच्चे वैसे ही सीखते हैं खाने से बहुत कुछ सीखने नहीं हमारी शिक्षा व्यवस्था हमारी है नहीं मैं कॉलेज की शिक्षा व्यवस्था है जो अंग्रेजों ने दिया हुआ है और उन्होंने यह लिखा हुआ है कि भारत शरीर से आजाद हो जाएगा पर मानसिक रूप से गुलाम रहेगा और वह मानसिक गुलामी आपको दिखाई भी पड़ता है कोई व्यक्ति संस्कृत बोले तो उसे लोग घर कर देखते हैं कि अच्छा बाबा जी बन गए और कोई व्यक्ति अगर ट्विंकल ट्विंकल लिटिल स्टार करें तो लोग कहते हैं कि यह मेरा बेटा है अंग्रेजी केवल चार-पांच देशों में ही बोली जाती है अलग-अलग देश अपनी भाषा बोलते हैं और वह सबसे ऊपर है और श्रेष्ठ भी हैं और यह चार-पांच कंट्री में बोले जाने वाली अंग्रेजी जिनको अपनाकर भारतीय अपने आप को स्मार्ट और मॉडर्न समझते हैं भारत में अगर अंग्रेजी बोलना नहीं आए तो यह शर्म का विषय नहीं है बल्कि भारत में रहकर हिंदी बोलना क्षेत्रीय भाषा ना आए तो यह शर्म का विषय है यह शिक्षा हमें कौन शिक्षा बताएगी जब हम सनातनी शिक्षा पद्धति को अपनाएंगे सनातन शिक्षा बोर्ड बनेगा तो हमारी प्राचीन शिक्षा व्यवस्था जहां से लोग डिग्री लेकर बेरोजगार पैदा नहीं होते थे हमारे गुरुकुलम से बच्चे जब निकलते थे तो वह लोगों को नौकरियां दिया करते थे आज के 30% वैज्ञानिक नासा में भारतीय हैं तो भारत बहुत आगे हैं इन्वेंशन में भी क्योंकि भारत बहुत चीजों को इन्वेंशन करता है हमारे पास ब्रह्म विद्या थी आध्यात्मिक विद्या थी अब हम केवल जीविका के  विद्या अपना रहे हैं जीवन की विधा भूल गए हैं इसलिए सुसाइड हो रहे हैं आप ग्लैमरस लाइफ भी जी रहे हैं। इससे पता चलता है कि आपने जीविका की विधा तो प्राप्त कर लिए लेकिन जीवन की विधा प्राप्त नहीं कर पाए। भारतीय सनातन सभ्यता में गुरु और शिष्य की परंपरा जीवन की विद्या देती है अगर दोनों शिक्षा पैरेलल चले जीविका और जीवन की विद्या तो भारत एक बार फिर शीर्ष पर हो सकता है श्रेष्ठ के साथ रह सकता है और यहां के लोग बहुत आनंदित खुश रहकर पूरी दुनिया को वसुदेव कुटुंबकम का संदेश दे सकते हैं।

प्रश्न-9 काफी राज्य नेता आपके फॉलोअर हैं जो आपकी मान्यता है एक सुप्रीम पॉवर है इसको कई लोग पूरी तरीके से फॉलो नहीं करते हैं इसको कैसे देखते हैं।

 

– राजनेता का काम है राजनीति करना राजनीति का अर्थ है कि वह प्रजा के लिए नीतियां बनाते हैं जिससे वह प्रजा के हित में निर्णय ले सके परंतु जब कोई व्यक्ति चाहे वह राजनेता हो या फिर धर्म के नाम पर बैठा हो लीडर हो या  फिर टीचर हो अगर उसका मन के ऊपर नियंत्रण नहीं है  अगर वह रुपए के लिए जीता है तो वह चाहे धर्म, राजनीति या टीचर के गद्दी पर बैठा हो वह कभी भी ऑनेस्ट नहीं हो सकता है वह ईमानदार नहीं हो सकता है इसलिए यह जरूरी है कि सनातन शिक्षा विद्या के माध्यम से धर्म की शिक्षा का भी अध्ययन कराया जाए जिससे मौलिक रूप से वह नैतिक हो सके और नैतिक लोग जब राजनीतिक में आएंगे तो धर्म की गद्दी पर बैठेंगे या फिर अन्य क्षेत्र में जाएंगे तो फिर वे लोगों के साथ न्याय कर सकेंगे। अभी जरूरी है कि शिक्षा पद्धति को बदलकर भारतीय शिक्षा पद्धति को लागू करना इससे जहां-जहां लोग बैठेंगे वो सर्वहित और जगत हित के बात करेंगे अभी तो केवल लोग अपने शरीर के हित की बात चल रही है। इसलिए शिक्षा के आभाव में धर्म का दुरुपयोग ज्यादा होता है सदुपयोग नहीं कर पाते हैं ।

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