Aaj ki Jandhara : आज की जनधारा की मनाई गई 33 वीं वर्षगाँठ , यूट्यूब पर पत्रकारिता है संभव कई पत्रकारों ने किया खुद को साबित : ओम थानवी

Aaj Kee Janadhaara :

Aaj ki Jandhara :  एक षड्यंत्र के तहत रेडियों को रखा गया खबरों से दूर….
वर्तमान में बहुत बड़ी चुनौती से गुजर रही है पत्रकारिता

 

Aaj ki Jandhara : संपादक की हैसियत बाबू की हो गई है,पत्रकारिता में चुनौतियां नहीं है जो पहले थी 

 

Aaj ki Jandhara :  “बदलती परिस्थिति में पत्रकारिता के सामने चुनौती”
और ” वादे से ज्यादा छत्तीसगढ़ सरकार के इस दावे पर चर्चा”

 

Aaj ki Jandhara :  रायपुर। “मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल मगर लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया” इस शेर को बजाबता चरितार्थ किया है छत्तीसगढ़ के प्रमुख अखबार ‘आज की जनधारा’  अखबार ने अपने 33 साल का सफर सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। आज की जनधारा ने बुधवार को जनमंच पर 33 वीं वर्षगांठ धूमधाम से मनाया… इस अवसर पर परिचर्चा और सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। जहां आज की जनधारा अखबार में उत्कृष्ठ कार्य करने वाले संवाददाताओं और कर्मचारियों को सम्मानित किया गया…. वहीं परिचर्चा में देश के कई नाम चिन्ह संपादक, पत्रकार और लेखक शामिल हुए…. परिचर्चा में दो मुख्य विषय पर चर्चा हुई, इसमें पहला विषय “बदलती परिस्थिति में पत्रकारिता के सामने चुनौती” पर बात की गई….

 

पहले पैनलिस्ट में मुख्य वक्ता के तौर पर वरिष्ठ संपादक एवं लेखक ओम थानवी, पूर्व आईएएस एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ सुशील त्रिवेदी, वरिष्ठ पत्रकार दिवाकर मुक्तिबोध, वरिष्ठ लेखक भालचंद्र जोशी और  जनधारा मीडिया समूह के प्रधान संपादक सुभाष मिश्रा, ग्रुप एडिटर अभय किशोर शामिल हुए और प्रमुखता से अपनी बात रखे।

वहीं दूसरा विषय दूसरा ” वादे से ज्यादा छत्तीसगढ़ सरकार के इस दावे पर चर्चा ” की गई इसमें कांग्रेस के सोशल मीडिया कॉर्डिनेटर आयुष पांडेय और कृषक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष सुरेंद्र शर्मा ने अपनी बात रखी। इस अवसर पर एशियन न्यूज़ के मैनेजिंग डायरेक्टर अरुण भद्रा, सीनियर एचआर शकील साजिद, डायरेक्टर सुरुचि मिश्रा, सौरभ मिश्रा, मैनेजिंग एडिटर आशीष तिवारी और  जनधारा परिवार के सदस्य मौजूद रहे।

इस अवसर पर सुभाष मिश्रा ने कहा की  तीन दशक से ज्यादा वक्त से चल रही ये यात्रा आपसी विश्वास की है और आगे भी जारी रहेगा। 33 साल पहले शुरू हुए इस अखबार ने अब तक के सफर में कई उतार चढ़ाव देखने को मिला। इस अखबार को स्वर्गीय बबन प्रसाद मिश्र ने शुरू किया बाद में दिवाकर मुक्तिबोध, देवेन्द्रर जैसे संपादकों ने अपनी मेहनत और कलम इस अखबार को सींचा है।

 

इसके साथ ही कई पत्रकार हैं  जिन्होंने अपनी कार्य कुशलता से इस अखबार को बेहतर बनाने की पूरी कोशिश की है हम उन सभी के योगदान को याद करते हैं,  और आशा करते हैं कि आगे भी इसी प्रकार से सहयोग मिलता रहेगा। उन्होंने कहा कि आज की जनधारा ने जहां एक अखबार के तौर पर अपनी साख बना ली है। वहीं अब समय के साथ कदम ताल मिलाते हुए डिजिटल और टीवी माध्यम में भी अपना नाम बनाते जा रहा है। लगातार संपादकीय के माध्यम से उन मुद्दों को हमने तरजीह दी है जो जनहित में जरूरी थे। हमारे लिए जनसरोकार और जन अपेक्षाएं सर्वोपरि है। इस तरह हम आपके सरोकार को केन्द्र में रखते हुए चौथे स्तंभ की भूमिका को और मजबूती से निभाने की कोशिश कर रहे हैं।

इस अवसर पर वरिष्ठ संपादक ओम थानवी ने कहा की वर्तमान में पत्रकारिता कई चुनौतियों से गुजर रहा है…उन्होंने कहा कि आज जिस प्रकार से पत्रकारिता हो रही है  वह वाकई में चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि देश में इंडिया गठबंधन द्वारा 14 चुनिंदा पत्रकारों के बहिष्कार करने का में सपोर्ट नहीं करता  लेकिन जिस प्रकार से पत्रकारिता हो रही है ऐसे पत्रकारों को संपादक को पहले निकाल देना चाहिए उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि पहले कई ऐसे वरिष्ठ संपादक थे जिन्होंने ऐसे पत्रकारों को बर्खास्त किया है….

 

इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डॉ सुशील त्रिवेदी ने कहा की एक सच्चा पत्रकार वही है जो अपने वसूलों और जनता के हक के लिए अपने मालिक और शासन से लड़ जाए… उन्होंने कहा कि स्वर्गीय बबन प्रसाद मिश्र एक ऐसे संपादक थे जिन्होंने लगातार संघर्ष की ओर पत्रकारिता को आगे बढ़ाने का काम किया। वे ऐसे पत्रकार थे जिन्होंने फ्रंट पेज पर खबर के जगह विज्ञापन छपने से अपनी इस्तीफा दे दी थी….वर्तमान में कई कड़ियां हैं जो पत्रकारिता को कमजोर कर रहे हैं। इस दौर में भी बबन प्रसाद मिश्र जैसे संपादक की आवश्यकता है।  जो सही मायने की पत्रकारिता करते हों।

 

इन्होंने कहा की वर्तमान में पत्रकारिता में जिस प्रकार से सतही पन पक्षपात हो रहा है इससे एक सच्चे पत्रकार को नीचे की ओर धकेलता है…
दिवाकर मुक्तिबोध ने कहा की पत्रकारिता की चुनौतियां बहुत है, लेकिन वर्तमान में सबसे बड़ी चुनौती भरोसे की है…जो पहले पत्रकारिता ने भरोसा कायम किया था वह ध्वस्त हो चुका है…वर्तमान में सबसे बड़ी चुनौती नौकरी को बचाए कैसे रखा जाए ये अहम है इससे ही आज के पत्रकार भयभीत हैं लेकिन आज जरूरत है कि निर्भीक और निष्पक्ष पत्रकार की जो देश और समाज में नई क्रांति ला सके।

पत्रकार को अनेक क्षेत्रों स्किल्ड में महारत होना है आवश्यक

 

वरिष्ठ संपादक और लेखक ओम थानवी ने कहा कि आज की जनधारा अखबार ने ऐसे समय में इस पर चर्चा का आयोजन किया है जिस समय में पत्रकारिता वाकई में चुनौती पूर्ण है इस समय ऐसे विषय पर बात करना आवश्यक है उन्होंने कहा कि इस देश के बड़े जितने बड़े संपादक और लेखक हैं उन्हें भी अपने समय में चुनौतियों को स्वीकार किया है लेकिन मौजूदा समय में ऐसे विषय पर बात करना सार्थक है वर्तमान में पत्रकारिता के सामने कई चुनौतियां हैं इसमें नई तकनीक की बात करें तो एक चुनौती है वर्तमान समय में लोग टेलीविजन से  दूर हो रहे हैं….वर्तमान में जिस प्रकार से तकनीक हावी हो रही है इससे बहुत जल्द लोग टेलीविजन से भी ऊब जाएंगे। अब लोग न्यू मीडिया की ओर माइल हो रहे हैं।

खबर के लिए रेडियो हो सकता है प्रभावशाली

 

ओम थानवी ने कहा कि खबर के लिए रेडियो का इस्तेमाल होना बहुत प्रभावशाली हो सकता था लेकिन इसे षड़यंत्र के माध्यम से दूर रखा गया.. उन्होंने कहा कि रेडियो एक ऐसा माध्यम है जिसे पढ़े लिखे होने की आवश्यकता नहीं है ना ही इसमें ज्यादा खर्च आता है इसे एक मजदूर से लेकर एक एलिट वर्क भी सुन सकता है इसलिए इसे एक षड्यंत्र के माध्यम से खबरों से दूर रखा गया इस पर कभी बात भी नहीं होती है अगर रेडियो खबर में आता है तो वाकई में क्रांति आ सकते हैं लेकिन राजनीतिक पार्टियों इसे नहीं होने दे रहे हैं ।

सर पर कफन बांधकर मीडिया में होगा आना

 

 

Dantewada Collector : कलेक्टर नंदनवार ने मंदिर परिसर में चल रहे निर्माण कार्यों का किया निरीक्षण 

मुख्य वक्ता भालचंद्र जोशी ने कहा कि पत्रकारिता में सबसे बड़ी चुनौती ये नहीं है कि नौकरी कैसे बचाया जाए इसके विपरित कई परिस्थितियों में पत्रकार को बिना वजह भी हटा दिया जाता है…जो हमेशा मालिक के पक्ष में रहते हैं…पत्रकारिता में नैतिकता समाप्त हो गई है। कई सालों से यह देखा जा रहा है कि पत्रकारिता के साथ आम लोगों में भी नैतिक पतन होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में टेलीविजन ने अपनी विश्वसनीयता खो दी है। आज जिस प्रकार से खबर परोसे जा रहे हैं उसे देखकर कुढन होती है। उन्होंने कहा की मीडिया में जी – जान सरोकार की बात होती थी अब इसका नाता दूर दूर तक नहीं है।

 

” वादे से ज्यादा छत्तीसगढ़ सरकार के इस दावे पर चर्चा “

 

 

वादे से ज्यादा विषय पर बात रखते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेता और कृषक कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष सुरेंद्र शर्मा ने अपनी बात रखी और कांग्रेस पार्टी के आने के बाद की गई कई उपलब्धियों को गिनाया। उन्होंने कहा की वादे से ज्यादा की बात करें तो जो हमारी पार्टी ने घोषणा पत्र में 36 बिंदुओं का जिक्र की थी।  उसमें 34 बिंदुओं को पूर्ण किया। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी ने ऐसा भी किया जो घोषणा पत्र में नहीं था। इसमें बस्तर में जो भूमिहीन जनता को वापस जमीन दिलाने का काम किया। ये भी हमारे घोषणा पत्र में नहीं था। वहीं आत्मानंद स्कूल भी घोषणा पत्र में शामिल नहीं था। वहीं आदिवासी नृत्य महोत्सव भी घोषणा पत्र में नहीं था जिसके माध्यम से प्रदेश का नाम विश्व भर में फैला है…

कांग्रेस के सोशल मीडिया कॉर्डिनेटर आयुष पांडेय ने कहा की देश में आज की जो राजनीति है वह चुनाव तक सीमित कर दिया गया है बल्कि चुनाव राजनीति का एक छोटा सा अंग हुआ करता है चुनाव ही राजनीति नहीं है यह एक छोटी सी प्रक्रिया है  इसे सबकुछ मानना गलत होगा…उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार आने के बाद अगर यह कह रही है की वादे से ज्यादा किस तरह दिया गया है तो कांग्रेस पार्टी को सरकार में आने के बाद किसानों का कर्ज माफी किया गया। वहीं सरकार सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल होने वाले बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने का है….उन्होंने कहा की हमारी सरकार ने स्वास्थ्य, शिक्षा के क्षेत्र में जो काम कर अपने वादे को निभाया है उसे झुठलाया नहीं जा सकता।

इस अवसर पर भिलाई ब्यूरो चीफ रमेश गुप्ता, राजेश राज गुप्ता (कोरिया )अमित गौतम (राजनंदगांव )अनूप वर्मा (चारामा ), संजय सोनी (भानु प्रतापपुर), रायपुर ऑफिस से नीलू धनकर, योगेश साहू ,चिंतामणि साहू, उमेश्वरी बघेल उर्फ उमा, चंद्रशेखर अग्रवाल, महेंद्र सिंह राजपूत को सम्मानित किया गया l

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