Aaj kee janadhaara : आज की जनधारा के प्रधान संपादक सुभाष मिश्र की कलम से : विपक्ष की एकता क्या गुल खिलाएगी ?

Aaj kee janadhaara :

Aaj kee janadhaara : आज की जनधारा के प्रधान संपादक सुभाष मिश्र की कलम से : विपक्ष की एकता क्या गुल खिलाएगी ?

वो मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता
मैं बे-क़रार हूँ आवाज़ में असर के लिए

Aaj kee janadhaara : दुष्यंत कुमार के इस शेर को देश की सियासी आइने में उतारने की कोशिश हो रही है. पिछले कुछ चुनाव से बिखरे हुए नजर आ रहे विपक्षी दलों ने एकजुट होने का संकल्प लिया है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर आज 15 दलों के नेताओं ने भाजपा के खिलाफ 2024 में मोर्चाबंदी की रणनीति बनाई है. इस बैठक में जेडीयू से नीतीश कुमार, कांग्रेस से मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, केसी वेणुगोपाल, आरजेडी से लालू यादव, तेजस्वी यादव, एनसीपी से शरद पवार, सुप्रिया सुले, प्रफुल्ल पटेल, टीएमसी से ममता बनर्जी, अभिषेक बनर्जी, डेरेक ओ ब्रायन, डीएमके से एमके स्टालिन, टीआर बालू, आम आदमी पार्टी से अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान, संजय सिंह, राघव चड्ढ़ा, सीपीएम से सीताराम येचुरी, सपा से अखिलेश यादव, शिवसेना यूबीटी से उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, संजय राउत, जेएमएम से हेमंत सोरेन, पीडीपी से महबूबा मुफ्ती, सीपीआई से डी राजा, सीपीआई एमएल से दीपांकर भट्टाचार्य समेत अन्य नेता मौजूद रहे।

करीब पौने चार घंटे तक चली विपक्ष की इस महाबैठक के बाद कॉमन एजेंडा बनाकर एक साथ चुनाव लड़ने की बात कही गई है. इस विपक्षी एकता के संयोजक के रूप में नीतीश कुमार को जिम्मेदारी दी जा सकती है. 10 से 12 जुलाई के बीच शिमला में इस गठबंधन की अगली बैठक होगी. इसमें बहुत सी बातें साफ हो जाएंगी. जैसे गठबंधन में किसे क्या भूमिका दी जाएगी. किन किन मुद्दों पर भाजपा को घेरा जाएगा. गठबंधन का क्या नाम होगा, सीट शेयरिंग का क्या फॉर्मूला होगा. क्योंकि कुछ राज्यों में ये बहुत जटिल मुद्दा हो सकता है. कांग्रेस कई राज्यों में लगभग सभी सीटों पर चुनाव लड़ती है, वहीं आम आदमी पार्टी भी अब कई राज्यों में अपने पैर पसारने की रणनीति पर काम कर रही है. बंगाल में सीपीएम और टीएमसी एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ते हैं.

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बैठक के बाद ज्यादातर नेता उम्मीदों से भरे हुए नजर आए.. राहुल गांधी ने कहा कि हमने यह फैसला लिया है कि एक साथ काम करेंगे। हमारी विचारधारा की रक्षा करने की ओर कदम बढ़ाएंगे। अगली बैठक में आज जो बातें हुई हैं, उन्हें और गहराई में ले जाएंगे।

ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार तानाशाही करती है। इस बार बीजेपी सत्ता में फिर से आ गई तो लोगों का कहना है कि देश में अगला चुनाव ही नहीं होगा। सरकार के खिलाफ जो बोलता है उसके पीछे सीबीआई और ईडी लगा देते हैं। हम सभी मिलकर शिमला में फिर से बैठेंगे और बीजेपी की नीतियों का विरोध करेंगे। बीजेपी इतिहास बदलना चाहती है और हम चाहते हैं कि बिहार से इतिहास बने।

अखिलेश यादव ने कहा कि आज पटना नए राजनीतिक जागरण का गवाह बन रहा है। यहां देशभर के नेता मिल रहे हैं। हम सब मिलकर काम करेंगे। देश कैसे आगे बढ़े, इस दिशा में काम होगा।

साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में नेशनल कॉनफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इतने लोगों को इकट्ठा करना मामूली बात नहीं है। इसका श्रेय नीतीश कुमार को जाता है। इस बैठक में कौन नहीं है यह ज्यादा महत्व नहीं रखता, बल्कि कौन है यह अहम है। हमारा मकसत सत्ता हासिल करना नहीं है। ये सत्ता की लड़ाई नहीं है। यह उसूलों की, विचारधारा की लड़ाई है। पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू कश्मीर लोकतंत्र, सेकुलरिज्म पर हमले की प्रयोगशाला है। अब पूरे देश में भी वही हो रहा है। गांधी के मुल्क को हम गोडसे का मुल्क नहीं बनने देंगे।

वहीं, बीजेपी ने इसे खोदा पहाड़ निकली चुहिया बताया है। सुशील मोदी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल बैठक होते ही बिना प्रेस कॉन्फ्रेंस किए ही क्यों दिल्ली चले गए. बताया जा रहा है कि इस बैठक में एकजुट होने से पहले अलग अलग दल एक दूसरे से अलग अलग मुद्दों पर एक दूसरे का रूख साफ करने का दबाव बना रहे हैं. आम आदमी पार्टी ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि कांग्रेस केन्द्र सरकार के काले अध्याधेश पर अपना रुख साफ करे नहीं तो वे उनके साथ किसी बैठक में शामिल नहीं होंगे.

इस बैठक के पहले 18 दलों के इसमें शामिल होने का दावा किया गया था. लेकिन कुछ पार्टी को लेकर शायद जदयू को शुरू से आशंका थी और हुआ भी यही इस बैठक से तीन दलों ने दूरी बना ली. इनमें सबसे अहम तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर का नाम आता है, भारत राष्ट्र समिति के संस्थापक के चंद्रशेखर राव के इसमें शामिल होने पर आशंका थी. इसी तरह शिरोमणी अकाली दल को लेकर था. तीसरी पार्टी जिसने इस बैठक से दूरी बनाई वो राष्ट्रीय लोक दल है. इसके अध्यक्ष जयंत चौधरी ने सहमति पत्र भेजकर आने से मना कर दिया।

बताया जा रहा है कि इस बैठक विपक्ष के नेता भाजपा को घेरने के लिए जो रेखा खींच रहे हैं उनमें प्रमुख हर सीट पर भाजपा के खिलाफ विपक्ष का एक प्रत्याशी खड़ा करना है. इस लाइन पर अगर विपक्षी दल अगर कोई साफ सुथरा कोई फॉर्मुला निकाल लेते हैं तो इस महागठबंधन को आकार लेने में सहुलियत हो सकती है. क्योंकि कई राज्यों में इस गठबंधन में शामिल हो रहे दल आपस में ही एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ते हैं. ऐसे में इस पर शिमला में क्या फॉर्मूला निकलता है ये काफी अहम होगा. वर्तमान स्थिति में देखें तो जो दल इस महागठबंधन में शामिल हुए हैं उनके लोकसभा में 148 सांसद हैं. यानि इन दलों को एकसाथ मिलकर बहुमत का आंकड़ा लाने के लिए अभी काफी जो लगाने की जरूरत है. बदले हुए सियासी समीकरण के बाद कांग्रेस की सीट बढ़ने की उम्मीद है. खासतौर पर उत्तर भारत के कुछ राज्यों में पार्टी को पिछली बार की तुलना में बेहतर नतीजों की उम्मीद है.

सियासी और मौसमी गर्मी के बीच पटना में विपक्षी दलों को एकजुट करने में नीतीश कुमार एक तरह सफल हुए हैं, अब शिमला की सर्द वादियों में पता चलेगा कि ये पहल कितनी सफल हुई है.

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