हिन्दू सम्मेलन में संघ प्रमुख मोहन भागवत का संदेश:“भाषा, भूषा, भजन, भवन, भ्रमण और भोजन—ये सब अपने होने चाहिए”

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के सेजबहार क्षेत्र अंतर्गत ग्राम सौनपैरी में आयोजित हिन्दू सम्मेलन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने समाज, संस्कृति और राष्ट्र के प्रति आत्मबोध का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति का अस्तित्व देश और समाज से जुड़ा है—“मैं और मेरा परिवार, देश के कारण ही सुरक्षित हैं।”

संघ प्रमुख ने कहा कि भाषा, भूषा, भजन, भवन, भ्रमण और भोजन—ये जीवन के छह आधार हैं और इन्हें स्वदेशी एवं स्वभाव के अनुरूप होना चाहिए। उन्होंने स्वबोध से जीवन जीने का आह्वान करते हुए कहा कि जब तक हम स्वयं सशक्त रहेंगे, तब तक कोई संकट हमें परास्त नहीं कर सकता।

संघ के 100 वर्ष और समाज की भूमिका

डॉ. भागवत ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने 100 वर्ष पूरे कर लिए हैं। उन्होंने माना कि समाज के विभिन्न क्षेत्रों में चुनौतियाँ दिखाई देती हैं, लेकिन समाधान भी हमारे भीतर ही मौजूद है। “यदि हम संगठित और जागरूक रहें, तो कोई भी संकट हमें निगल नहीं सकता,” उन्होंने कहा।

उन्होंने सामाजिक एकता पर बल देते हुए कहा कि सभी हिन्दू एक हैं और समस्त भारतवासी अपने हैं—यह भाव व्यवहार में भी दिखना चाहिए। परिवार और समाज में सामूहिक समय बिताने की आवश्यकता बताते हुए उन्होंने कहा कि सप्ताह में कम से कम एक दिन परिवार के सभी सदस्य साथ बैठें।

राष्ट्र, समय और पर्यावरण की चिंता

संघ प्रमुख ने राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी की बात करते हुए कहा कि व्यक्ति को आत्मचिंतन करना चाहिए कि वह देश और समाज के लिए कितना समय और संसाधन देता है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण को आज की सबसे बड़ी आवश्यकता बताते हुए जल संरक्षण, सिंगल यूज़ प्लास्टिक के त्याग और अधिक से अधिक पेड़ लगाने का आह्वान किया।

भाषा और संस्कृति पर जोर

डॉ. भागवत ने कहा कि भारत के लोगों को अपनी मातृभाषा में संवाद करना चाहिए और जिस प्रदेश में रहते हैं, वहां की भाषा भी सीखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति, परंपराएं और संविधान—तीनों का सम्मान जरूरी है। बड़ों के चरण स्पर्श जैसी परंपराओं को जीवन में अपनाने की बात भी उन्होंने कही।

संत असंग देव महाराज का संबोधन

सम्मेलन में मुख्य अतिथि संत असंग देव महाराज ने संघ की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि संगठन व्यक्ति को अकेलेपन से बचाता है। उन्होंने संत कबीर और चाणक्य के विचारों का उल्लेख करते हुए मानव जीवन के महत्व पर प्रकाश डाला।

संत ने कहा कि सरसंघचालक मोहन भागवत केवल अपने शब्दों से नहीं, बल्कि अपने आचरण से भी प्रेरणा देते हैं। उन्होंने युवाओं से राष्ट्र निर्माण में एकता, प्रेम और सेवा भाव के साथ आगे आने का आह्वान किया।

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