रायपुर। भारतमाला परियोजना के तहत रायपुर-विशाखापत्तनम आर्थिक कॉरिडोर में भूमि अधिग्रहण मुआवजा घोटाले के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की बड़ी कार्रवाई सोमवार को जारी है। ईडी टीमों ने रायपुर और महासमुंद जिले में कुल 9 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। इनमें महिला तहसीलदार के पति एवं जमीन कारोबारी हरमीत सिंह खनूजा, महासमुंद के ऑटोमोबाइल कारोबारी जसबीर सिंह बग्गा तथा उनके सहयोगियों के ठिकाने शामिल हैं। सुबह 5 बजे से टीमें दस्तावेज, डिजिटल रिकॉर्ड एवं बैंक लेन-देन संबंधी सामग्री खंगाल रही हैं।
रायपुर की ला विस्टा सोसायटी तथा महासमुंद की मेघ बसंत कॉलोनी सहित अन्य स्थानों पर टीमें मौजूद हैं। बाहर भारी सुरक्षा बल तैनात है तथा किसी को अंदर प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही। सूत्रों के अनुसार हरमीत सिंह खनूजा एवं जसबीर सिंह बग्गा में से किसी एक की गिरफ्तारी हो चुकी है।
यह मामला भूमि अधिग्रहण मुआवजे में कथित फर्जीवाड़े से जुड़ा है, जिसमें राजस्व अधिकारियों, पटवारियों एवं भू-माफिया की मिलीभगत से करोड़ों रुपये के घोटाले का आरोप है। जांच के अनुसार अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू होने के बाद जमीनों को छोटे टुकड़ों में बांटकर बैक डेट पर फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए, जिससे कीमत कृत्रिम रूप से बढ़ाई गई तथा एनएचएआई को वास्तविक राशि से अधिक मुआवजा दिखाया गया।
सूत्रों के मुताबिक हरमीत सिंह खनूजा की भूमिका की गहन जांच हो रही है। ईडी बैंक खातों, संपत्ति दस्तावेजों एवं संदिग्ध लेन-देन के रिकॉर्ड खंगाल रही है।
आरोप है कि वास्तविक मुआवजा करीब 29.5 करोड़ रुपये होना चाहिए था, लेकिन कागजी हेरफेर से 70 से 78 करोड़ रुपये तक का भुगतान दिखाया गया, जिससे सरकारी खजाने को लगभग 43 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
यह मामला विधानसभा के पिछले बजट सत्र में उठा था। इसके बाद राज्य सरकार ने आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू-एसीबी) से जांच कराई। जांच में तत्कालीन जगदलपुर नगर निगम आयुक्त निर्भय साहू एवं कोरबा के डिप्टी कलेक्टर शशिकांत कुर्रे को निलंबित किया गया। ईओडब्ल्यू ने दर्जनभर से अधिक राजस्व अधिकारियों एवं जमीन कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई की, जबकि कुछ आरोपी अभी फरार हैं। रायपुर कमिश्नर से अलग जांच कराई गई, जिसकी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी गई।
राजस्व विभाग के अनुसार अभनपुर बेल्ट में 9.38 किलोमीटर सड़क निर्माण के लिए कुल 324 करोड़ रुपये का मुआवजा निर्धारित था। इसमें से 246 करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है, जबकि 73 करोड़ रुपये का भुगतान जांच पूरी होने तक रोक दिया गया है।
ईडी की छापेमारी खबर लिखे जाने तक जारी है। एजेंसी दस्तावेज जब्ती, डिजिटल डेटा जांच एवं लेन-देन ट्रेल खंगालने के बाद आधिकारिक बयान जारी कर सकती है। जांच के सभी पहलुओं की गहनता से पड़ताल की जा रही है तथा पूरी होने पर आगे की कानूनी कार्रवाई होगी।