रायपुर। छत्तीसगढ़ में 29 दिसंबर से प्रदेश के कर्मचारी और अधिकारी तीन दिवसीय हड़ताल पर रहेंगे। 11 सूत्रीय मांगों को लेकर राज्य सरकार के खिलाफ यह आंदोलन किया जा रहा है। फेडरेशन के बैनर तले 29 से 31 दिसंबर तक प्रदेशव्यापी विरोध प्रदर्शन होगा, जिससे सरकारी दफ्तरों के कामकाज पर व्यापक असर पड़ने की संभावना है। फेडरेशन के अनुसार, करीब 4.50 लाख कर्मचारी-अधिकारी इस हड़ताल में शामिल होंगे।
फेडरेशन ने कहा है कि मोदी की गारंटी लागू करने में छत्तीसगढ़ सरकार के उदासीन रवैये से कर्मचारी वर्ग में भारी नाराजगी है। इसी आक्रोश के चलते कर्मचारी-अधिकारी त्रिदिवसीय हड़ताल के माध्यम से अपना विरोध दर्ज कराएंगे। फेडरेशन का दावा है कि नवा रायपुर स्थित सभी विभागाध्यक्ष कार्यालयों में तालाबंदी होगी। इसके साथ ही निगम, मंडल, बोर्ड, आयोग और स्कूलों में भी तालाबंदी की संभावना जताई गई है।
फेडरेशन के प्रतिनिधिमंडल ने कई बार मोदी की गारंटी लागू करने की मांग को लेकर राज्य सरकार को ज्ञापन सौंपा है। कर्मचारियों के अनुसार, 22 अगस्त को फेडरेशन के आह्वान पर प्रदेश बंद और हड़ताल भी की गई थी, लेकिन अब तक सरकार की ओर से कोई ठोस पहल नहीं हुई है। फेडरेशन का कहना है कि सरकार के विकासोन्मुखी कार्यों का क्रियान्वयन कर्मचारी-अधिकारी ही करते हैं, बावजूद इसके उनकी जायज मांगों की अनदेखी की जा रही है। प्रदेश में कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी भी संबंधित विभागों के कर्मचारियों पर ही है।
फेडरेशन ने बताया कि हड़ताल को लेकर प्रदेशव्यापी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। राज्य के पांचों संभागों में समीक्षा बैठकों का आयोजन किया गया है और प्रत्येक जिले में संयोजकों द्वारा बैठकें ली जा रही हैं। इसके साथ ही सामूहिक अवकाश आवेदन भी भरे जा रहे हैं। जिलों में संयोजक और प्रांतीय कोर कमेटी द्वारा आंदोलन की लगातार निगरानी की जा रही है।
ये हैं कर्मचारियों की प्रमुख मांगें
कर्मचारियों और पेंशनरों को केंद्र सरकार के समान देय तिथि से महंगाई भत्ता लागू किया जाए।
महंगाई भत्ता एरियर्स की राशि कर्मचारियों के जीपीएफ खाते में समायोजित की जाए।
सभी कर्मचारियों को चार स्तरीय समयमान वेतनमान प्रदान किया जाए।
लिपिक, शिक्षक, स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग सहित विभिन्न संवर्गों की वेतन विसंगतियों को दूर करने पिंगुआ समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए।
प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवा गणना करते हुए संपूर्ण सेवा लाभ दिया जाए और पंचायत सचिवों का शासकीयकरण किया जाए।
सहायक शिक्षकों और सहायक पशु चिकित्सा अधिकारियों को तृतीय समयमान वेतनमान दिया जाए।
नगरीय निकाय कर्मचारियों को नियमित मासिक वेतन और समयबद्ध पदोन्नति दी जाए।
अनुकंपा नियुक्ति नियमों में 10 प्रतिशत सीलिंग में शिथिलीकरण किया जाए।
प्रदेश में कैशलेस चिकित्सा सुविधा लागू की जाए।
अर्जित अवकाश नगदीकरण की सीमा 300 दिवस की जाए।
दैनिक, अनियमित और संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के लिए ठोस नीति बनाई जाए।
सभी विभागों में समानता लाते हुए सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष की जाए।
फेडरेशन ने स्पष्ट किया है कि जब तक सरकार कर्मचारियों की मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लेती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। तीन दिवसीय हड़ताल के चलते प्रदेशभर में प्रशासनिक और शासकीय कार्य प्रभावित होने की पूरी संभावना है।