विनोद कुमार शुक्ल की स्मृति में एक लाख रुपये का साहित्यिक पुरस्कार देने की घोषणा

आज की जनधारा के भोपाल संस्करण का शुभारंभ

भोपाल।

भोपाल में ‘आज की जनधाराÓ के भोपाल संस्करण के शुभारंभ अवसर पर हिंदी साहित्य के लिए एक महत्वपूर्ण और दूरगामी घोषणा की गई। अखबार के प्रधान संपादक सुभाष मिश्र ने हिंदी के अप्रतिम कवि-कथाकार विनोद कुमार शुक्ल की स्मृति में प्रतिवर्ष उनके जन्मदिवस के अवसर पर एक लाख रुपये का साहित्यिक पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की।
इस घोषणा ने कार्यक्रम में उपस्थित साहित्यकारों, पाठकों और पत्रकारों को विशेष रूप से आंदोलित किया। यह पहल केवल एक श्रद्धांजलि भर नहीं, बल्कि समकालीन हिंदी साहित्य के प्रति ‘आज की जनधाराÓ की वैचारिक प्रतिबद्धता और सांस्कृतिक दृष्टि का स्पष्ट उद्घोष मानी गई। विनोद कुमार शुक्ल हिंदी साहित्य के ऐसे विरल रचनाकार रहे हैं, जिनकी भाषा की सहजता, संवेदना की गहराई और मानवीय दृष्टि ने साहित्य को नई दिशा दी। उनके नाम पर स्थापित यह पुरस्कार उस परंपरा को जीवित रखने का प्रयास है, जो बाजार और शोर से परे मनुष्य के भीतर के सत्य को खोजती है।


कार्यक्रम के विशेष अतिथि चुनाव आयुक्त मनोज श्रीवास्तव ने इस घोषणा को अत्यंत महत्वपूर्ण और आशाजनक बताते हुए कहा कि इससे ‘आज की जनधाराÓ की वैचारिक प्रतिबद्धता और सांस्कृतिक संकल्प स्पष्ट रूप से सामने आते हैं।
हरिओम जटिया ने कहा कि यह उल्लेखनीय है कि ‘आज की जनधाराÓ स्वयं को केवल खबरों और सूचनाओं तक सीमित नहीं रखती, बल्कि साहित्य जैसे संवेदनशील क्षेत्र को भी गंभीरता से लेती है। साहित्य के लिए इतनी बड़ी राशि का पुरस्कार अखबार की रचनात्मक चेतना का प्रमाण है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने कहा कि ‘आज की जनधाराÓ अन्य अखबारों से इसलिए अलग दिखाई देती है क्योंकि इसकी प्रतिबद्धता समाचारों के साथ-साथ साहित्य और संस्कृति के प्रति भी है। यह पुरस्कार एक समाचार पत्र के सामाजिक दायित्व और सांस्कृतिक आस्था को मुखर रूप से व्यक्त करता है। विशेष अतिथि लाजपत आहूजा ने कहा कि ‘आज की जनधाराÓ शुरू से ही प्रचलित धारा से अलग अपनी स्वतंत्र पहचान बनाती रही है और यह घोषणा उनके इस विश्वास को और मजबूत करती है।
दिल्ली से आए अखबार के सलाहकार संपादक भालचंद्र जोशी ने कहा कि किसी समाचार पत्र का दायित्व केवल सच लिखना ही नहीं, बल्कि अपने समय की सांस्कृतिक और साहित्यिक गतिविधियों पर सजग दृष्टि बनाए रखना भी है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह पुरस्कार हिंदी साहित्य के अन्य पुरस्कारों की भीड़ में अपनी तटस्थता और साहित्य-केंद्रित दृष्टि के कारण विशिष्ट स्थान बनाएगा।
इस घोषणा के साथ ‘आज की जनधाराÓ ने स्पष्ट कर दिया है कि वह केवल समाचारों का संकलन नहीं, बल्कि विचार, विवेक और रचनात्मकता का मंच भी है।

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