रायपुर। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कवि, कथाकार और उपन्यासकार विनोद कुमार शुक्ल का मंगलवार शाम 88 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे पिछले कुछ महीनों से अस्वस्थ थे और उनका इलाज एम्स रायपुर में चल रहा था। उनके निधन से साहित्य जगत में शोक की लहर है।
विनोद कुमार शुक्ल का अंतिम संस्कार आज सुबह 11 बजे रायपुर के मारवाड़ी मुक्तिधाम में किया जाएगा। 6 दिसंबर को लिखी गई कविता ‘बत्ती मैंने पहले बुझाई, फिर तुमने बुझाई, फिर हम दोनों ने मिलकर बुझाई’ उनकी अंतिम रचना मानी जा रही है।
उल्लेखनीय है कि एक माह पूर्व ही उन्हें भारत के सर्वोच्च साहित्यिक सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। ज्ञानपीठ के महाप्रबंधक आरएन तिवारी ने उन्हें वाग्देवी की प्रतिमा और पुरस्कार राशि का चेक सौंपकर सम्मानित किया था। वे ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त करने वाले छत्तीसगढ़ के पहले साहित्यकार थे।
सम्मान समारोह के दौरान विनोद कुमार शुक्ल ने कहा था कि जब हिंदी सहित तमाम भाषाओं पर संकट की बात कही जा रही है, तब उन्हें पूरी उम्मीद है कि नई पीढ़ी हर भाषा और हर विचारधारा का सम्मान करेगी। उन्होंने कहा था कि किसी भाषा या अच्छे विचार का नष्ट होना मनुष्यता का नष्ट होना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में विनोद कुमार शुक्ल से मुलाकात कर उनका हालचाल जाना था। छत्तीसगढ़ के 25वें स्थापना दिवस पर रायपुर आगमन के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा था कि लिखना उनके लिए सांस लेने जैसा है और वे जल्द स्वस्थ होकर घर लौटकर लेखन जारी रखना चाहते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विनोद कुमार शुक्ल के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा कि ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात लेखक विनोद कुमार शुक्ल के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। हिंदी साहित्य जगत में उनके अमूल्य योगदान के लिए वे सदैव स्मरणीय रहेंगे।