भोपाल। मध्यप्रदेश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बाद लगभग 38 लाख नाम हटाए गए हैं। इस मामले ने प्रदेश की सियासत में हलचल मचा दी है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों दलों ने इस पर अपनी-अपनी राय रखी, जिससे राजनीतिक विवाद बढ़ गया है।

कांग्रेस का आरोप है कि पिछले वर्षों में वोट चोरी के जरिए बीजेपी की सरकारें बनी थीं। उपनेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे ने विधानसभा में कहा कि 40 लाख से अधिक नाम फर्जी पाए गए हैं। उनका कहना था कि मुद्दा केवल नाम हटने का नहीं है, बल्कि यह जानना भी जरूरी है कि ये फर्जी नाम किस तरह वोटर लिस्ट में जुड़े और अब तक किस प्रकार वोट डालते रहे। कटारे ने इसे लोकतंत्र की हत्या करने की कोशिश बताया।
वहीं बीजेपी ने पलटवार किया। विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि कांग्रेस की बयानबाजी पूरी तरह झूठ पर आधारित है। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी ने पूरी कांग्रेस को झूठ बोलना सिखा दिया। मृतक लोगों के नाम मतदाता सूची में कैसे रह सकते हैं?” बीजेपी का दावा है कि निर्वाचन आयोग स्वतंत्र है और इसे किसी भी सरकार के प्रभाव में नहीं लाया जा सकता।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह मामला आगामी चुनावों में दोनों दलों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है। SIR के जरिए हटाए गए नामों की जाँच अब प्रशासन और निर्वाचन आयोग दोनों कर रहे हैं।
इस बीच, मध्यप्रदेश की सियासत में जनता भी इस विषय पर अपनी राय रख रही है। कई लोग इसे लोकतंत्र की पारदर्शिता के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं, जबकि कुछ इसे राजनीतिक हथकंडा बता रहे हैं।
राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर यह मामला अब आगे और गहराई से जाँचा जाएगा, जिससे यह स्पष्ट होगा कि किस स्तर पर गलती हुई और कौन जिम्मेदार है।