रायपुर। नगर निगम रायपुर की संपत्तियों को ऑनलाइन करने की प्रक्रिया फिलहाल ठप पड़ी हुई है। शहर में निगम की 19 अलग-अलग स्थानों पर चार हजार से अधिक प्रॉपर्टी मौजूद हैं, लेकिन अब तक इनकी पूरी जानकारी ऑनलाइन अपलोड नहीं की जा सकी है। इसी साल निगम मुख्यालय ने सभी 10 जोन कमिश्नरों से उनके-अपने वार्डों में मौजूद निगम संपत्तियों की विस्तृत जानकारी मांगी थी, जिसमें यह बताना था कि कितनी संपत्तियां हैं, उन पर कौन काबिज है, कितना किराया वसूला जा रहा है और कितनी दुकानें खाली हैं।

हालांकि अब तक सभी जोनों से पूरी जानकारी नहीं मिल पाई है, जिससे नगर निगम कमिश्नर नाराज हैं। जानकारी समय पर उपलब्ध नहीं कराने पर जोन कमिश्नरों को फटकार भी लगाई गई है।
1400 दुकानों की जानकारी अभी बाकी
निगम अधिकारियों के अनुसार अब तक करीब 2600 दुकानों और प्रॉपर्टी की जानकारी ऑनलाइन की जा चुकी है, जबकि करीब 1400 प्रॉपर्टी से जुड़े दस्तावेज और विवरण अभी भी जोन कार्यालयों से आना बाकी है। ऑनलाइन सिस्टम पूरी तरह तैयार नहीं होने की वजह से निगम के लाइसेंसी दुकानदारों, लीज होल्डरों और मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना के आवंटियों को किराया या अन्य शुल्क जमा करने के लिए बार-बार दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
बिक्री के लिए भी जरूरी है ऑनलाइन जानकारी
शहर में निगम की कई ऐसी संपत्तियां हैं, जिनके लिए आठ से दस बार टेंडर जारी किए जा चुके हैं, फिर भी वे नहीं बिक पाई हैं। निगम चाहता है कि सभी संपत्तियों की जानकारी ऑनलाइन सार्वजनिक हो, ताकि लोग एक क्लिक में निगम की दुकानों और प्रॉपर्टी को देख सकें और खरीद प्रक्रिया में भाग ले सकें।
जानिए, शहर में कहां-कितनी निगम प्रॉपर्टी
निगम से प्राप्त जानकारी के अनुसार शहर में गांधी बाजार (ए) में 381, गांधी बाजार (बी) में 587, मटन मार्केट शास्त्री बाजार में 50, जूता-चप्पल लाइन में 250, नई दुकानें 323, मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना के तहत 984, गंज क्षेत्र में 378, गंज मंडी में 34, आजाद मार्केट में 18, गंज की नई दुकानें 13, ओपन प्लॉट 16, निवेदिता स्कूल परिसर में 12, शहरी क्षेत्र में 135, नवीन बाजार हॉल में 43, पुराना बस स्टैंड में 21, मिलेनियम प्लाजा परिसर में 156, शास्त्री बाजार चौक में 281, शहीद स्मारक भवन में 151 सहित अन्य कई स्थानों पर निगम की दुकानें और संपत्तियां हैं।
पहली बार बनाई जा रही ऑनलाइन व्यवस्था
नगर निगम में यह पहली बार है जब अपनी संपत्तियों का पूरा रिकॉर्ड ऑनलाइन करने की कोशिश की जा रही है। अब तक ऐसा न होने को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि कुछ मामलों में निगम की संपत्तियों को अवैध रूप से बेचा गया या लीज पर मिली दुकानों को आगे दूसरों को बेच दिया गया। यदि जानकारी पहले से ऑनलाइन होती, तो लोगों को इस तरह की अनियमितताओं की जानकारी मिल पाती।
लापरवाही पर होगी कार्रवाई
नगर निगम कमिश्नर विश्वदीप ने सभी जोन कमिश्नरों को निर्देश दिए हैं कि वे जल्द से जल्द अपने क्षेत्र की संपत्तियों का पूरा विवरण मुख्यालय भेजें। उन्होंने साफ कहा है कि निगम की हर एक प्रॉपर्टी की जानकारी ऑनलाइन होगी और लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को नोटिस जारी किया जाएगा।