रायपुर। मूक-बधिर और दृष्टिबाधित दिव्यांग बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से महावीर इंटरकॉन्टिनेंटल सर्विस ऑर्गेनाइजेशन (मीसो) एवं छत्तीसगढ़ दिव्यांगजन वित्त एवं विकास निगम के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय स्तर के स्किल डेवलपमेंट शिविर की शुरुआत की गई है। यह पांच दिवसीय निःशुल्क शिविर 19 दिसंबर से 23 दिसंबर तक रायपुर के जैनम मानस भवन, एयरपोर्ट के सामने आयोजित किया जा रहा है। यह संस्था का 25वां राष्ट्रीय शिविर है।

छत्तीसगढ़ दिव्यांगजन वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष वीर लोकेश कावड़िया, मीसा के कार्यक्रम संयोजक वीर मोतीचंद बरड़िया, सह-संयोजक वीर के.के. नायक, वीर अश्विन दोषी एवं वीर मनोज कोठारी ने बताया कि इस अनूठे शिविर में देश के विभिन्न राज्यों से आए लगभग 1200 दिव्यांग बच्चे भाग ले रहे हैं, जिनमें 1100 मूक-बधिर और 100 दृष्टिबाधित बच्चे शामिल हैं।

शिविर में अनुभवी प्रशिक्षकों द्वारा बच्चों की योग्यता के अनुसार 72 से अधिक रोजगारोन्मुखी कलाएं और कार्य सिखाए जा रहे हैं, ताकि वे इन्हें अपनाकर स्वावलंबी बन सकें। इनमें ऑर्गेनिक साबुन, फेसवॉश, फिनाइल, हैंडवॉश, बोतल आर्ट, माला निर्माण, दिया-बाती, माटी कला, नेल आर्ट, झाड़ू, वाइपर, लिप्पन आर्ट, मोप मेकिंग, प्रिंटर रिफिलिंग सहित अनेक हुनर शामिल हैं।
कावड़िया ने बताया कि पिछले अनुभवों के आधार पर इन कलाओं में प्रशिक्षित दिव्यांग बच्चे प्रतिमाह 15 से 20 हजार रुपये तक कमा रहे हैं और आत्मसम्मान के साथ अपना जीवनयापन कर रहे हैं। शिविर में बच्चों को मार्केटिंग से जुड़ा मार्गदर्शन भी दिया जाएगा, साथ ही संस्था द्वारा उनके उत्पादों की बिक्री में सहयोग किया जाएगा।
आयोजकों ने कहा कि इस शिविर का मुख्य उद्देश्य दिव्यांग बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ना और उन्हें हुनरमंद बनाकर रोजगार से जोड़ना है। पिछले कई वर्षों से इस प्रकार के शिविर सफलतापूर्वक आयोजित किए जा रहे हैं। यह आयोजन दिव्यांगजन सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है।