हाईवे किनारे ढाबे और शराब दुकान नहीं हटने पर हाईकोर्ट सख्त

बिलासपुर। बिलासपुर–रायपुर नेशनल हाईवे के किनारे संचालित ढाबों और शराब दुकानों को हटाने के आदेश के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच ने इसे प्रशासनिक उदासीनता करार दिया है।

हाईकोर्ट ने कहा कि आदेश जारी होने और शपथ पत्र दाखिल किए जाने के बावजूद जमीनी स्तर पर कार्रवाई न होना गंभीर मामला है। इस पर कोर्ट ने अब मुख्य सचिव (CS) को शपथ पत्र दाखिल कर यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया है कि अब तक आदेशों का पालन क्यों नहीं हो सका। मामले की अगली सुनवाई 19 दिसंबर को होगी।

सरकारी जमीन पर बने ढाबे का मामला

दरअसल, यह मामला एक जनहित याचिका से जुड़ा है। सुनवाई के दौरान परिवहन विभाग के सचिव ने 25 जून 2025 को हाईकोर्ट में शपथ पत्र प्रस्तुत कर बताया था कि बिलासपुर–रायपुर हाईवे पर मुंगेली जिले के सरगांव क्षेत्र में सड़क किनारे सरकारी जमीन पर बने एक ढाबे को लेकर 15 मई 2025 को तहसीलदार द्वारा बेदखली का आदेश जारी किया गया है।

ढाबा संचालक ने दो महीने के भीतर जमीन खाली करने का शपथ पत्र भी दिया था। साथ ही, सड़क पर वाहनों की सुरक्षित पार्किंग की व्यवस्था करने का आश्वासन दिया गया था।

शराब दुकान शिफ्ट करने का निर्णय भी अधूरा

इसी तरह, नगर पंचायत सरगांव क्षेत्र में सड़क किनारे संचालित शराब दुकान को दूसरी जगह स्थानांतरित करने का निर्णय लिया गया था। इसके लिए किराये पर भवन लेने संबंधी नोटिस भी जारी किया गया, लेकिन अब तक दुकान को शिफ्ट नहीं किया जा सका।

कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट ने खोली पोल

मंगलवार (16 दिसंबर) को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट कमिश्नर ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश और परिवहन विभाग के सचिव के शपथ पत्र के बावजूद न तो ढाबा हटाया गया और न ही शराब दुकान को स्थानांतरित किया गया है। वहीं, राज्य शासन की ओर से केवल प्रक्रिया जारी होने का दावा किया गया।

हाईकोर्ट ने जताई कड़ी नाराजगी

सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आदेशों और शपथ पत्रों के बावजूद जमीन पर कोई ठोस कार्रवाई न होना प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि परिवहन विभाग के सचिव अदालत को दिए गए आश्वासनों को लागू कराने में असहाय नजर आ रहे हैं।

डिवीजन बेंच ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अब मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

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