भानुप्रतापपुर। मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार के शासन काल में देश के ग्रामीण परिवारों को वर्ष में 100 दिनों का रोजगार देने की गारंटी महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून को मोदी सरकार खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ते हुए दो दशक पुरानी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (मनरेगा) को निरस्त करके एक नया कानून बनाने के लिए लोकसभा में विधायक लेकर आ रही है। जो भारत देश के ग्रामीण परिवारों के हित में नहीं है।
इस सबंध में तीव्र प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जनपद पंचायत अध्यक्ष सुनाराम तेता ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने मनरेगा जैसे ग्रामीण परिवारों को रोजगार का गारंटी प्रदान करने वाले कानून में परिवर्तन करके ग्रामीण परिवारों को 100 दिनों के रोजगार के अधिकार को छीन लिया है। यह योजना महज योजना नहीं बल्कि ग्रामीण परिवारों को रोजगार देने का कानून है जिसके बदलाव से अब यह खत्म हो जायेगा।
श्री पोटाई ने केंद्र की मोदी सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि जिस सरकार के शासनकाल में देश में सबसे अधिक बेरोजगारी दर हो उस सरकार ने रोजगार गारंटी जैसे कानून को परिवर्तन करके बेरोजगारी दर को और आगे बढ़ाने का काम करेगी जिससे ग्रामीण जन बेरोजगारी झेलने के लिए मजबूर होंगे।
उन्होंने कहा कि मनरेगा कानून का नाम परिवर्तन करने तक मामला सीमित नहीं है संप्रग सरकार ने इस कानून को तैयार किया था कि जब भी कोई ग्रामीण परिवार रोजगार की मांग करेगा उसे आवेदन के 15 दिनों में रोजगार उपलब्ध कराया जाता था अन्यथा उसे बेरोजगारी भत्ता प्रदान किया जाता था।लेकिन मोदी सरकार ने अब वर्षा के दो माह रोजगार नहीं देने का नियम बनाया है। इसके पूर्व भी भाजपा के शासन काल में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रहे रमन सिंह ने पहले से ही नियम बना दिया था कि कृषि के मौसम में मनरेगा में रोजगार नहीं दिया जाता था।अब मोदी सरकार ने इसे पूरे देश में लागू कर रहा है इससे ग्रामीण मजदूरों की मजदूरी घटेगी। तथा उन्हेें रोजगार के लिए भटकना पड़ेगा। एवं कर्मचारी, अधिकारी भी प्रभावित होंगे।
तेता ने कहा कि जब भी किसी योजना का नाम बदला जाता है, तो कार्यालयों, स्टेशनरी, प्रशासनिक व्यवस्था आदि में काफी बदलाव करने पड़ते हैं, जिस पर बहुत पैसा खर्च होता है। आखिर यह सब क्यों किया जा रहा है। निश्चित तौर पर यह कदम पैसे और समय दोनो की बर्बादी के साथ साथ काम के अधिकार के गांरटी को कमजोर करना है जिससे राज्य के मजदूर प्रभावित होंगे।
उन्होनें मोदी सरकार पर सवालिया निशान उठाते हुए कहा कि इस योजना का नाम क्यों परिवर्तन किया जा रहा है तथा योजना से महात्मा गांधी का नाम क्यों हटाया जा रहा है। महात्मा गांधी को न सिर्फ देश में बल्कि दुनिया में सबसे महान नेता माना जाता हैए ऐसे में उनका नाम योजना से हटाना मेरी समझ से परे है। मुझे तो लगता है कि मोदी सरकार महात्मा गांधी के नाम को हटाकर इतिहास और पहचान बदलने की कोशिश कर रही है निश्चित तौर पर यह भाजपा की राजनीतिक कदम है जिसका उद्देश्य यूपी सरकार की इस प्रमुख योजना की विरासत को खत्म करना है क्योंकि यह कानून गरीब मजदूरों के लिए संजीवनी के समान थी।
अध्यक्ष जनपद पंचायत भानुप्रतापपुर सुनाराम तेता ने मोदी सरकार पर प्रहार करते हुए कहा कि यह भाजपा सरकार सामंती और कॉर्पोरेट घरानों की सेवा करने पर तुली हुई है।गरीबों का किस तरह शोषण कर अमीर वर्ग को लाभान्वित किया जाए सिर्फ उसी रास्ते पर यह सरकार चल रही है। उन्होंने मोदी सरकार की इस नीति का कड़ी शब्दों से निंदा करते हुए कहा कि गरीबों की अधिकारों पर हमला करने वाली इस मोदी सरकार का कांग्रेस पार्टी पुरजोर विरोध करेगी तथा जमींन की लड़ाई लड़ेगी।