रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन धान खरीदी की अव्यवस्थाओं को लेकर सदन का माहौल गरमा गया। विपक्ष ने इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव पेश किया। आसंदी द्वारा ग्रहण पर चर्चा की अनुमति दिए जाने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कड़ा आरोप लगाया।

भूपेश बघेल ने कहा कि मौजूदा हालात यह संकेत देते हैं कि सरकार धान खरीदी के प्रति गंभीर नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी व्यवस्था को जानबूझकर कमजोर किया जा रहा है, ताकि इसे निजी हाथों में सौंपने का रास्ता साफ किया जा सके। यदि इस विषय पर पूरी चर्चा कराई जाती, तो सत्तापक्ष के सदस्यों को भी अपनी बात रखने और सरकार को जवाब देने का अवसर मिलता।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि धान खरीदी से जुड़े समितियों के प्रबंधक, कर्मचारी और कंप्यूटर ऑपरेटर अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। सरकार उनकी समस्याओं का समाधान करने के बजाय कार्रवाई कर रही है और उन्हें जेल भेजा जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि पंजीयन प्रक्रिया में गंभीर खामियां सामने आई हैं, जिसके चलते वन अधिकार पट्टा धारक कई किसान पंजीयन से वंचित रह गए।
भूपेश बघेल ने ऑनलाइन टोकन व्यवस्था पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कई किसानों के पास एंड्रॉयड मोबाइल नहीं हैं, जिससे उन्हें चॉइस सेंटरों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। महासमुंद जिले के किसान मनबोध द्वारा आत्महत्या के प्रयास का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि खरीदी केंद्रों से धान का सीधा उठाव नहीं हो रहा है। धान को पहले संग्रहण केंद्रों तक ले जाया जा रहा है और आरओ फरवरी में कटने की बात कही जा रही है। उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष की धान खरीदी का भी पूरा उठाव नहीं हो पाया, जिसके लिए सरकार पूरी तरह जिम्मेदार है।
भूपेश बघेल ने आसंदी से आग्रह किया कि इस गंभीर विषय को ग्राह्य कर विस्तृत चर्चा कराई जाए, ताकि किसानों से जुड़ी समस्याओं का समाधान निकल सके।