बिलासपुर। रायगढ़ निवासी एक युवती द्वारा लिव-इन पार्टनर पर शादी का झूठा वादा कर बार-बार शारीरिक संबंध बनाने और पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने आरोपी को बरी रखने के स्पेशल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है।
पीड़िता ने 10 फरवरी 2016 को रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि एक फरवरी 2016 से आरोपी उसके साथ लिव-इन में था और शादी का झूठा वादा कर शारीरिक संबंध बनाए। शादी से इनकार करने पर धारा 376 एवं पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ।
स्पेशल कोर्ट ने पीड़िता की उम्र 18 वर्ष से कम साबित न होने, चिकित्सकीय परीक्षण में जबरदस्ती के कोई निशान न मिलने तथा पीड़िता द्वारा लिव-इन संबंध स्वीकार करने पर आरोपी को दोषमुक्त किया था। राज्य शासन ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी।
जस्टिस संजय एस अग्रवाल एवं जस्टिस राधाकिशन अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने अपील खारिज करते हुए कहा कि पीड़िता का जन्म प्रमाण पत्र एफआईआर के चार माह बाद 21 जून 2016 को जारी हुआ, जिस पर संदेह है। पीड़िता के पिता कोटवारी रजिस्टर में दर्ज जन्म तिथि नहीं बता सके। कोटवार से पूछताछ नहीं हुई और कोटवारी रजिस्टर तथा स्कूल एडमिशन रजिस्टर पेश नहीं किया गया। पीड़िता की उम्र 18 वर्ष से कम साबित नहीं हो सकी, इसलिए स्पेशल कोर्ट का दोषमुक्ति का आदेश सही है। अपील खारिज की जाती है।