रायपुर। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत रायगढ़ जिले में एक ग्राम को पूर्ण रूप से सौर ऊर्जा आधारित ‘सोलर मॉडल विलेज’ बनाया जाएगा। इस परियोजना को अमलीजामा पहनाने के लिए जिला स्तरीय चयन समिति ने औपचारिक रूप से ग्राम चयन प्रक्रिया शुरू कर दी है।
5 हजार से अधिक जनसंख्या वाले ग्राम आएंगे चयन में
कलेक्टर की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय लिया गया कि केवल 5,000 से अधिक आबादी वाले ग्राम ही प्रतियोगिता में शामिल होंगे। इस मानक के आधार पर जिले के 10 सबसे अधिक जनसंख्या वाले ग्राम पंचायतों को छह माह की प्रतिस्पर्धात्मक प्रक्रिया में शामिल किया गया है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देशों के अनुरूप राज्य में नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए जिलों को विशेष अभियान चलाने को कहा गया है, ताकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “हर घर सौर ऊर्जा” लक्ष्य को साकार किया जा सके।
इन 10 ग्रामों में होगा मुकाबला
केंद्र सरकार के निर्देशानुसार चयनित ग्राम पंचायतें इस प्रकार हैं—
- कुडुमकेला (घरघोड़ा)
- तमनार (तमनार)
- खैरपुर (रायगढ़)
- विजयनगर (धरमजयगढ़)
- तराईमाल (तमनार)
- गहनाझरिया (लैलूंगा)
- गढ़मरिया (पुसौर)
- छाल (धरमजयगढ़)
- सिसरिंगा (पुसौर)
- कोडातराई (पुसौर)
इन्हीं 10 ग्रामों में से एक का चयन रायगढ़ जिले के पहले सोलर मॉडल विलेज के रूप में किया जाएगा।
छह माह चलेगा मूल्यांकन अभियान
आने वाले छह माह तक इन ग्रामों में—
- सौर ऊर्जा को प्रोत्साहन,
- जागरूकता अभियान,
- घरेलू एवं सामुदायिक सौर संयंत्रों की स्थापना,
- योजनाओं में ग्रामीणों की भागीदारी
का लगातार आकलन किया जाएगा।
प्रत्येक चयनित ग्राम में “आदर्श ग्राम समिति” गठित की जा रही है, जिसमें सरपंच, सचिव, जनप्रतिनिधि, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षक, डॉक्टर, कृषि विस्तार अधिकारी और अन्य संबंधित अधिकारी शामिल होंगे। यह समिति डोर-टू-डोर जाकर सौर ऊर्जा योजनाओं का प्रचार करेगी और पी.एम. कुसुम, सोलर स्ट्रीट लाइट, हाईमास्ट, सोलर डुअल पंप जैसी योजनाओं की जानकारी देगी।
प्रस्ताव तैयार कर जिला स्तर पर भेजेंगे
क्रेडा के सहायक अभियंता विक्रम वर्मा ने बताया कि प्रतियोगिता के दौरान प्रत्येक ग्राम अपनी जरूरतों के अनुरूप सामुदायिक सौर संयंत्रों के प्रस्ताव बनाएगा और जिला समिति को सौंपेगा।
छह माह की अवधि पूर्ण होने के बाद मूल्यांकन किया जाएगा, जिसमें प्रमुख आधार होंगे—
- स्थापित सौर संयंत्रों की संख्या
- विभिन्न योजनाओं में ग्रामीणों की भागीदारी
- सौर संसाधनों का उपयोग
- सामुदायिक सहयोग
इसी मूल्यांकन के आधार पर अंतिम चयन होगा। चयनित ग्राम का विस्तृत डीपीआर तैयार कर 15 मार्च 2025 तक ऊर्जा विभाग को भेजा जाएगा, ताकि उस ग्राम को पूर्णतः सौर ऊर्जा आधारित आदर्श मॉडल विलेज के रूप में विकसित किया जा सके।