नई दिल्ली: केंद्र सरकार सोमवार को लोकसभा में दो महत्वपूर्ण विधेयक पेश करेगी, जिनका उद्देश्य तंबाकू और पान मसाला जैसे हानिकारक उत्पादों पर मौजूदा कर भार को बनाए रखना है। जीएसटी मुआवजा सेस की समाप्ति के बावजूद इन ‘सिन गुड्स’ से राजस्व सुरक्षित रहेगा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए कोष का निर्माण संभव होगा। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए जाने वाले ये बिल सुनिश्चित करेंगे कि मुआवजा सेस समाप्त होने के बाद भी इन उत्पादों पर सरकारी आय बरकरार रहे।
सेंट्रल एक्साइज (अमेंडमेंट) बिल, 2025 का मुख्य फोकस मौजूदा जीएसटी मुआवजा सेस को प्रतिस्थापित करना है। वर्तमान में यह सेस सिगरेट, चबाने वाले तंबाकू, सिगार, हुक्का, जर्दा और खुशबूदार तंबाकू जैसे उत्पादों पर लगाया जाता है। बिल की व्याख्या के अनुसार, इसका उद्देश्य सरकार को केंद्रीय उत्पाद शुल्क की दरें बढ़ाने के लिए वित्तीय स्थान प्रदान करना है, ताकि जीएसटी मुआवजा सेस समाप्त होने के बाद भी कर प्रभाव कायम रहे।
मुआवजा सेस समाप्ति के बाद तंबाकू और संबंधित उत्पादों पर जीएसटी के साथ-साथ नई एक्साइज ड्यूटी लगेगी। विशेष रूप से पान मसाला जैसे उत्पादों के उत्पादन पर नया सेस लगाने का प्रस्ताव है। इस सेस का लक्ष्य सार्वजनिक स्वास्थ्य और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए लक्षित उपयोग सुनिश्चित करना है, जो किसी अन्य शुल्क या कर के अतिरिक्त होगा। सरकार को अन्य वस्तुओं पर भी इस प्रकार का सेस अधिसूचित करने का अधिकार होगा।
कंपनियों को प्रत्येक कारखाने या परिसर के लिए सभी मशीनों या प्रक्रियाओं की स्व-घोषणा करनी होगी, और सेस की गणना हर स्थान पर कुल आधार पर की जाएगी। चूंकि 28 प्रतिशत जीएसटी दर समाप्त हो चुकी है, तंबाकू और पान मसाला पर अब उच्चतम जीएसटी स्लैब 40 प्रतिशत लागू होगा।
जीएसटी मुआवजा सेस की समाप्ति का कारण यह है कि 1 जुलाई 2017 को जीएसटी लागू होने पर राज्यों के राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए पांच वर्ष (30 जून 2022 तक) की व्यवस्था की गई थी। बाद में इसे 31 मार्च 2026 तक बढ़ाया गया, ताकि कोविड-19 अवधि में राज्यों को राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र द्वारा लिए गए ऋण को चुकाया जा सके। दिसंबर 2025 तक यह ऋण पूरी तरह चुकता हो जाएगा, जिसके बाद मुआवजा सेस समाप्त हो जाएगा। जीएसटी परिषद ने 3 सितंबर 2025 को निर्णय लिया था कि तंबाकू और पान मसाला पर मुआवजा सेस तब तक जारी रहेगा, जब तक ऋण चुकता न हो।
इन बिलों से तंबाकू उद्योग पर अतिरिक्त कर बोझ बढ़ेगा, लेकिन सरकार का मानना है कि इससे स्वास्थ्य सुरक्षा मजबूत होगी और राजस्व वृद्धि होगी।