सरगुजा। हसदेव अरण्य क्षेत्र में प्रस्तावित कोयला खदान परियोजना को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए पर्यावरण मंजूरी प्रदान कर दी है। वन विभाग ने केते एक्सटेंशन ओपन कास्ट कोल माइनिंग और पिट हेड कोल वॉशरी प्रोजेक्ट के लिए कुल 1742.60 हेक्टेयर वन भूमि को गैर-वन कार्यों के लिए स्थानांतरित करने की अनुशंसा की है, जिसे अब अंतिम अनुमति के लिए केंद्र के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भेज दिया गया है।

लाखों पेड़ों की कटाई के बाद शुरू हो सकेगा खनन
केंद्र से अंतिम स्वीकृति मिलते ही संरक्षित वनों के लगभग 17 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की जाएगी। खनन शुरू होने के बाद इस क्षेत्र से निकला कोयला राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को उपलब्ध कराया जाएगा।


भूपेश बघेल का सरकार पर हमला—“जनहित की परवाह नहीं”
सरकार के इस निर्णय पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पर्यावरण मंजूरी की प्रति साझा करते हुए कहा कि:
- जनता के भारी विरोध के बावजूद सरकार ने केते एक्सटेंशन परियोजना को मंजूरी दे दी,
- लगभग 1700 हेक्टेयर जंगल खतरे में है,
- रामगढ़ की ऐतिहासिक पहाड़ियों पर भी संकट मंडरा रहा है।
बघेल ने आरोप लगाया कि यह फैसला साबित करता है कि “भाजपा सरकार को न जनता की चिंता है, न जनहित की।” उन्होंने घोषणा की कि कांग्रेस जनता के साथ मिलकर इस मंजूरी के खिलाफ जोरदार आंदोलन करेगी।